Edited By Deepika Rajput,Updated: 03 Sep, 2018 04:28 PM
2019 लोकसभा चुनाव की हलचल हर जगह देखने को मिल रही है। सभी राजनीतिक पार्टियां अपने मतलब के लिए हेरफेर करने में जुटी हैं। बीजेपी के रथ को रोकने के लिए सभी विरोधी दल साथ आ रहे हैं। उत्तर प्रदेश के उपचुनावों में तो यह प्रयोग पूरी तरह सफल रहा था। एेसी ही...
यूपी डेस्कः 2019 लोकसभा चुनाव की हलचल हर जगह देखने को मिल रही है। सभी राजनीतिक पार्टियां अपने मतलब के लिए हेरफेर करने में जुटी हैं। बीजेपी के रथ को रोकने के लिए सभी विरोधी दल साथ आ रहे हैं। उत्तर प्रदेश के उपचुनावों में तो यह प्रयोग पूरी तरह सफल रहा था। एेसी ही कुछ चर्चा दिल्ली में भी हो रही थी। अभी हाल ही में खबर सामने आई थी कि दिल्ली में कांग्रेस, आप के साथ गठबंधन कर सकती है। लेकिन संभावित गठबंधन की अटकलों पर इस खबर के बाद विराम लग गया। सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस, दिल्ली में आम आदमी पार्टी की बजाय बसपा से गठबंधन करने की तैयारी में है।
जूनियर पार्टनर बनकर चुनाव नहीं लड़ेगी कांग्रेस
कांग्रेस के एक नेता ने कहा कि दिल्ली में हम किसी के जूनियर पार्टनर बनकर चुनाव नहीं लड़ेंगे। एेसा नहीं हो सकता कि लोकसभा चुनाव में कांग्रेस 2 और गठबंधन दल 5 सीटों पर चुनाव लड़े। विधानसभा में कांग्रेस 20 और दूसरा दल 50 सीटों पर लड़े। एेसे में गठबंधन के बारे में नहीं सोचा जा सकता है। लेकिन अगर कांग्रेस 6 लोकसभा सीटों पर और दूसरा दल 1 एक सीट पर चुनाव के लिए मैदान में उतरे तो बात बन सकती है। विधानसभा में भी कांग्रेस गठबंधन वाले दल को 5-6 सीटें दे सकती है। एेसी स्थिति में कांग्रेस का बसपा से गठबंधन निश्चित है।
कांग्रेस-बीजेपी के बाद तीसरी ताकतवर पार्टी बसपा
दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष माकन ने कहा कि दिल्ली में हमारी ऐसी पार्टी है जिसके 10 पूर्व सांसद हैं और 70 पूर्व विधायक हैं। ऐसे में पार्टी किसी भी दल का जूनियर पार्टनर कैसे बन सकती है। बसपा से पार्टी का गठबंधन इसलिए सफल साबित हो सकता है क्योंकि कांग्रेस व बीजेपी के बाद बसपा तीसरी ताकतवर पार्टी है। उत्तर प्रदेश के चुनाव में यह देखा गया है कि दलित उन्हें किस तरह से वोट करते हैं। एेसे में कांग्रेस और बसपा का गठबंधन दिल्ली में सियासी हलचल पैदा कर सकता है।
गाैरतलब है कि आगामी लाेकसभा आैर विधानसभा चुनाव में एक साथ लड़ने के लिए दाेनाें पार्टियाें में लंबे समय से बातचीत जारी है। साल के अंत तक हाेने वाले तीन राज्याें मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ में भी इन दाेनाें दलाें के बीच मिलकर चुनाव लड़ने की रणनीति बनाई जा रही है। हालांकि, दाेनाें दलाें में सीटाें के बंटवारे काे लेकर अभी भी पेंच फंसा हुआ है। माना जा रहा है कि चुनाव से पहले स्थिति पूरी तरह से साफ हाे जाएगी आैर दाेनाें पार्टियां एक साथ मैदान में उतरेंगी।