सीएम योगी बोले-  जीवन पर्यंत मूल्यों और आदर्शों के लिए लड़ते रहे महंत दिग्विजयनाथ

Edited By Ramkesh,Updated: 20 Sep, 2024 09:46 PM

cm yogi said mahant digvijaynath kept fighting for values  and ideals

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और गोरक्षपीठ के पीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार को कहा कि गोरक्षपीठ को साधना स्थली बनाकर सनातन धर्म के परिपूर्ण स्वरूप के अनुरूप आचरण करने वाले युगपुरुष ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ जी महराज आजीवन भारतीयता के मूल्यों...

गोरखपुर: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और गोरक्षपीठ के पीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार को कहा कि गोरक्षपीठ को साधना स्थली बनाकर सनातन धर्म के परिपूर्ण स्वरूप के अनुरूप आचरण करने वाले युगपुरुष ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ जी महराज आजीवन भारतीयता के मूल्यों और आदर्शों के लिए लड़ते रहे। योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार को ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ की 55वीं पुण्यतिथि पर आयोजित श्रद्धाजंलि समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ जी के बताए मूल्यों और आदर्शों ने भारतीयता के नवनिर्माण, पूर्वी उत्तर प्रदेश और गोरखपुर में सुसंस्कृत समाज की नींव रखी। उनके विचारों और उनके कृतित्वों से हमें आज भी निरंतर आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलती है। यहां जारी एक आधिकारिक बयान के अनुसार, ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ जी महराज की 55वीं तथा राष्ट्रसंत ब्रह्मलीन महंत अवैद्यनाथ जी महाराज की 10वीं पुण्यतिथि के उपलक्ष्य में गोरक्षपीठ में साप्ताहिक श्रद्धांजलि समारोह आयोजित किया गया है।

 योगी ने इस समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि गोरक्षपीठ के उनके पूर्ववर्ती दोनों पीठाधीश्वरों युगपुरुष ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ जी महराज और राष्ट्र संत ब्रह्मलीन महंत अवैद्यनाथ जी महराज का पूरा जीवन देश और धर्म के लिए समर्पित था। योगी आदित्यनाथ के गुरु गोरक्षपीठ के ब्रह्मलीन महंत अवैद्यनाथ थे, जबकि महंत अवैद्यनाथ के गुरु ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ जी महराज थे। मुख्यमंत्री ने अपने गुरु और अपने पितामह गुरु की चर्चा करते हुए कहा कि उन्होंने धर्म को केवल उपासना विधि नहीं माना, बल्कि भारतीय मनीषा में धर्म के जिस स्वरूप की बात कही गई है, उसके अनुरूप जीवन जिया। योगी आदित्यनाथ ने कहा कि सभ्य और समर्थ समाज के लिए पहली आवश्यकता शिक्षा होती है। इसी उद्देश्य को समझते हुए महंत दिग्विजयनाथ ने 1932 में महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद की स्थापना की। यह काम धनोपार्जन के लिए नहीं बल्कि लोक कल्याण के लिए किया गया।

 मुख्यमंत्री ने कहा कि ''देश आजाद होने के बाद किसी जगह विश्वविद्यालय बनाने के लिए तत्कालीन राज्य सरकार को 50 लाख रुपये नकद या इतने की संपत्ति की जरूरत होती थी। महंत दिग्विजयनाथ ने गोरखपुर में विश्वविद्यालय की स्थापना और इसे पूर्वी उत्तर प्रदेश में शिक्षा का महत्वपूर्ण केंद्र बनाने के लिए शिक्षा परिषद की संस्था एमपी बालिका स्नातक महाविद्यालय की संपत्ति दे दी।'' योगी ने कहा कि ''उस समय की 50 लाख की संपत्ति का आज के समय में मूल्य 500 करोड़ रुपये होगा।'' मुख्यमंत्री ने कहा कि ''गोरक्षपीठ के पूज्य संतों के नेतृत्व में जो भी काम हुए, वह व्यक्तिगत नाम के लिए नहीं थे, बल्कि हर काम देश, सनातन धर्म और समाज के नाम रहा।''

श्रद्धांजलि सभा को संबोधित करते हुए वशिष्ठ आश्रम, अयोध्याधाम से आए, पूर्व सांसद डॉ. रामविलास वेदांती ने कहा कि सामाजिक समरसता और हिन्दुत्व के नाम पर पूरे देश में किसी मठ का नाम लिया जाता है तो वह- गोरखनाथ मठ है। उन्होंने कहा कि ''गोरक्षपीठ हिंदुत्व और सामाजिक समरसता के नाम पर हमेशा ही मुखर रही है। राम मंदिर आंदोलन का सफल होना गोरक्षपीठ की अगुवाई के बिना संभव नहीं था।'' वेदांती ने कहा, ‘‘महंत दिग्विजयनाथ के नेतृत्व से रामलला का प्रकटीकरण हुआ तो 1984 में जब कांग्रेस सरकार के भय से कोई संत राम मंदिर आंदोलन का नेतृत्व करने को तैयार नहीं था तब महंत अवैद्यनाथ ने यह कहकर मंदिर आंदोलन की अगुवाई की कि उन्हें गोरखनाथ मंदिर की चिंता नहीं है बल्कि रामलला की चिंता है, राम मंदिर बनना ही चाहिए।'' पूर्व सांसद ने दावा किया ''महंत अवैद्यनाथ नेतृत्व करना स्वीकार नहीं करते तो मंदिर आंदोलन चल नहीं पाता।''
 

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