Assembly By-Election: सभी 10 सीट जीतने के भाजपा के लक्ष्य को 'इंडिया' से मिल सकती ठीकठाक चुनौती

Edited By Imran,Updated: 18 Aug, 2024 04:56 PM

bjp s target of winning 10 seats may face challenge from  india

लोकसभा चुनावों में निराशाजनक प्रदर्शन के बाद उत्तर प्रदेश विधानसभा की 10 सीट पर होने वाले उपचुनाव में भी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया' से ठीक-ठाक चुनौती मिल सकती है। विशेषज्ञ मान रहे हैं कि उपचुनाव वाले ज्यादातर क्षेत्रों के...

लखनऊ: लोकसभा चुनावों में निराशाजनक प्रदर्शन के बाद उत्तर प्रदेश विधानसभा की 10 सीट पर होने वाले उपचुनाव में भी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया' से ठीक-ठाक चुनौती मिल सकती है। विशेषज्ञ मान रहे हैं कि उपचुनाव वाले ज्यादातर क्षेत्रों के सामाजिक समीकरण भाजपा के पक्ष में नहीं हैं। 

उत्तर प्रदेश में नौ विधायकों के सांसद चुने जाने और कानपुर नगर के सीसामऊ विधानसभा क्षेत्र के विधायक को आगजनी मामले में सात साल की सजा सुनाए जाने के बाद रिक्त हुई 10 सीटों पर उपचुनाव होने हैं। हालांकि, अभी उपचुनाव की तारीख घोषित नहीं की गई है। भाजपा ने उपचुनाव में सभी 10 सीट जीतने का संकल्प लिया है, लेकिन जानकारों का कहना है कि पार्टी के लिए इस लक्ष्य को हासिल करना आसान नहीं होगा, क्योंकि समाजवादी पार्टी (सपा) और कांग्रेस मिलकर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही हैं। लखनऊ के डॉ. राम मनोहर लोहिया विधि विश्वविद्यालय के आंबेडकर सभागार में 14 जुलाई को आयोजित भाजपा की प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में पार्टी की उत्तर प्रदेश इकाई के अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी ने कार्यकर्ताओं से कहा था, ''

भूपेंद्र सिंह चौधरी ने कार्यकर्ताओं से कहा था
आइए हम सब मिलकर संकल्प लें कि 10 विधानसभा सीट पर होने वाले आगामी उपचुनावों में शत-प्रतिशत विजय हासिल करेंगे।'' प्रदेश अध्यक्ष के इस आह्वान के बाद से ही भाजपा ने संगठन से लेकर बूथ स्तर तक पर तैयारियां तेज कर दी हैं और मंत्रियों एवं पदाधिकारियों को एक-एक विधानसभा क्षेत्र की जिम्मेदारी सौंपी गई है। चुनाव प्रबंधन का जिम्मा संभाल रहे भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष और विधान परिषद सदस्य विजय बहादुर पाठक ने कहा, ''अभी उपचुनाव की तारीख तय नहीं हुई है, लेकिन पार्टी ने बड़े पैमाने पर तैयारियां शुरू कर दी हैं। भाजपा और उसके सहयोगी दल मिलकर सभी 10 सीट पर जीत दर्ज करेंगे।'' हालांकि, राजनीतिक विश्लेषक और लखनऊ विश्वविद्यालय के सेवानिवृत्त प्रोफेसर डॉ. राजेश मिश्र ने कहा, ''2022 के विधानसभा चुनाव और 2024 के लोकसभा चुनाव के नतीजों को देखते हुए सभी 10 सीट पर जीत का भाजपा का संकल्प बहुत चुनौतीपूर्ण है।'' मिश्र ने कहा, ''उपचुनाव वाली कई सीटों के राजनीतिक और सामाजिक समीकरण भाजपा के पक्ष में नहीं हैं। अगर हाल में संपन्न लोकसभा चुनाव में भाजपा का प्रदर्शन उम्मीदों के मुताबिक नहीं रहा था, तो आगामी विधानसभा उपचुनावों में तो पार्टी के लिए स्थितियां और भी चुनौतीपूर्ण होंगी।''

80 सीटों में सिर्फ 33 पर जीत मिली थी
लोकसभा चुनाव में भाजपा को उत्तर प्रदेश की 80 सीटों में सिर्फ 33 पर जीत मिली थी, जबकि उसके सहयोगी राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) को दो और अपना दल (एस) को एक सीट से संतोष करना पड़ा था। वहीं, सपा को 37 और कांग्रेस को छह सीटों पर जीत हासिल हुई थी। एक सीट आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) के खाते में गई थी। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय और सपा के मुख्य प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी समेत कई नेताओं ने कहा है कि सपा और कांग्रेस उपचुनाव मिलकर लड़ेंगी। सीटों के बंटवारे पर चौधरी ने कहा कि यह तय करने की जिम्मेदारी पार्टी आलाकमान पर है। उत्तर प्रदेश विधानसभा की जिन 10 सीटों पर उपचुनाव होने हैं, भाजपा ने उनमें से मझवा और कटेहरी सीट सहयोगी निषाद पार्टी को दी थी, जबकि करहल, मिल्कीपुर, कुंदरकी, खैर, गाजियाबाद, मीरापुर, फूलपुर और सीसामऊ में अपने उम्मीदवार उतारे थे। निषाद पार्टी मझवा में जीत दर्ज करने में कामयाब रही थी, लेकिन कटेहरी में उसे हार का सामना करना पड़ा था। वहीं, भाजपा ने जिन आठ सीटों पर चुनाव लड़ा था, उनमें से उसे सिर्फ खैर, गाजियाबाद और फूलपुर में जीत नसीब हुई थी। बाकी पांच सीटें सपा ने जीती थीं, जबकि एक सीट रालोद के खाते में गई थी, जो उस समय विपक्ष का हिस्सा थी।

लोकसभा चुनाव से पहले रालोद भाजपा नीत सत्तारूढ़ गठबंधन में शामिल हो गई थी। राजनीतिक जानकार कहते हैं, “2022 के विधानसभा चुनाव में फूलपुर में भाजपा उम्मीदवार ने तीन हजार से भी कम मतों के अंतर से सपा के अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी को हराया था। वहीं, खैर और गाजियाबाद में भाजपा ने शानदार प्रदर्शन किया था। पर करहल और कुंदरकी जैसी सीटों पर सपा ने व्यापक बढ़त बनाते हुए भाजपा को बहुत पीछे छोड़ दिया था। मिल्कीपुर, सीसामऊ, कटेहरी और मीरापुर जैसी सीटों के नतीजे भी भाजपा के पक्ष में नहीं थे।” मिल्कीपुर (अयोध्या) सीट अवधेश प्रसाद के फैजाबाद (अयोध्या) और करहल (मैनपुरी) सीट अखिलेश यादव के कन्नौज से सांसद चुने जाने की वजह से खाली हुई थी। इन दोनों सीटों पर भाजपा की विशेष नजर है। मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ ने हाल ही में मिल्कीपुर विधानसभा क्षेत्र के भाजपा कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों की एक बैठक को संबोधित किया और उन्होंने अयोध्या का दौरा भी किया।

करहल में भी पार्टी ने पूरी ताकत झोंक दी है और उप मुख्‍यमंत्री ब्रजेश पाठक समेत कई नेता व मंत्री वहां समीकरण साधने में जुटे हैं। भाजपा के एक नेता ने कहा कि पार्टी उपचुनाव में इन सीटों पर जीत हासिल कर लोकसभा चुनाव में मिली हार की चुभन को हर हाल में समाप्त करना चाहती है। हालांकि, सामाजिक कार्यकर्ता रामप्रकाश यादव ने कहा, ''भाजपा में अंदरूनी कलह और सहयोगी दलों के सीटों में हिस्सेदारी को लेकर अभी से दबाव बनाने से अपेक्षित माहौल नहीं बन पा रहा है, जबकि सपा ने अपने पीडीए (पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक) फॉर्मूले पर जोर देकर बूथ स्तर तक घेराबंदी शुरू कर दी है।'' 

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