यूपी में बढ़ी बेटियों की जन्मदरः प्रयागराज प्रदेश में पहले नंबर पर, जानिए राजधानी लखनऊ का हाल...

Edited By Ajay kumar,Updated: 13 Oct, 2022 07:03 PM

birth rate of daughters increased in up prayagraj at number one in the state

बेटियां कोख में सुरक्षित हो रही हैं, इससे बालिकाओं की जन्मदर में वृद्धि हुई है। इस वृद्धि ने बेटी बचाओ का नारा मजबूत किया है। लोगों की सोच बदली तो बेटियों के लिंगानुपात के सुधार में मदद मिली है।

लखनऊः बेटियां के प्रति लोगों की सोच बदल रही है। जिसकी वजह से बेटियां अब कोख में सुरक्षित हो रही हैं। सोच बदलने से न केवल बालिकाओं की जन्मदर में वृद्धि हुई है बल्कि बेटी बचाओ का नारा भी मजबूत हुआ है। अब देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में बेटों से ज्यादा बेटियां जन्म ले रही हैं। पिछले वर्ष के मुकाबले लिंगानुपात में तेजी से सुधार हुआ है। वर्ष 2015-16 में उत्तर प्रदेश में प्रति हजार लड़कियों की संख्या औसत 903 थी जो कि 2019-21 की रिपोर्ट 941 पहुंच गई है। जिसमें शहरी क्षेत्र में 933 की अपेक्षा ग्रामीण क्षेत्रों में 943 संख्या के साथ लड़कियां ज्यादा पैदा हो रही हैं। साल 2020-21 के आकड़ों के अनुसार बाल जन्म लिंगानुपात में काफी सुधार आया है। आइए देखते हैं किस जिले में क्या है मौजूदा स्थित...

पहले नंबर पर प्रयागराज
उत्तर प्रदेश में प्रयागराज पहला ऐसा जिला हैं, जहां सबसे ज्यादा बेटियां जन्म ले रही हैं। प्रयागराज में एक हजार बेटों पर 1,191 बेटियां जन्म ले रही हैं।

गाजियाबाद दूसरे नंबर पर
उत्तर प्रदेश में गाजियाबाद दूसरा ऐसा जिला हैं, जहां सबसे ज्यादा बेटियां जन्म ले रही हैं। नेशनल फैमिली हैल्थ सर्वे के आकड़े बताते हैं कि गाजियाबाद में कन्या भ्रूण हत्या में कमी आई है, जिससे बालिका जन्मदर में सुधार आया है। जनपद में बेटों के मुकाबले 182 ज्यादा बेटियों का जन्म हो रहा है। यानी 1000 बेटियों पर 1,182 बेटियां जन्म ले रही हैं। आज पांच साल बाद फिर से नेशनल फैमिली हैल्थ सर्वे के आकड़े जारी किए गए हैं। साल 2015-16 के सर्वे में पाया गया था कि जनपद में एक हजार बेटों पर 907 बेटियों जन्म ले रही थीं।

राजधानी लखनऊ में मामूली सुधार
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में मामूली सुधार देखने को मिला है। लखनऊ में यह संख्या 870 से बढ़कर 981 हुई है। इसी प्रकार तमाम जनपद हैं जहां लिंगानुपात बढ़ा है। वहीं कई जिलों में लिंगानुपात कम भी हुआ है।

कन्या समर्पित योजनाओं से बदली लोगों की सोच
विभागीय अधिकारियों का कहना है कि यह बदलाव बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ और कन्या सुमंगला जैसी योजनाओं के कारण देखने को मिला है। अब बेटियां कुछ भी कर सकने में सक्षम हैं। राज्य सरकार का सहयोग मिलने से खुद को प्रमाणित भी कर रही हैं। लड़कियों के प्रति समाज में बदलाव देखने को मिला है।

 

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