संसाधनों की कमी से प्रभावित अयोध्या मस्जिद ट्रस्ट, समितियां की भंग

Edited By Ramkesh,Updated: 20 Sep, 2024 07:06 PM

ayodhya masjid trust affected by lack of resources committees dissolved

अयोध्या में धन्नीपुर मस्जिद के निर्माण कार्य की देखरेख के लिए सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड द्वारा गठित ‘इंडो-इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन' (आईआईसीएफ) ने मस्जिद के विकास के लिए बनी एक समिति समेत चार समितियों को भंग कर दिया है। फाउंडेशन, मस्जिद निर्माण...

लखनऊ: अयोध्या में धन्नीपुर मस्जिद के निर्माण कार्य की देखरेख के लिए सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड द्वारा गठित ‘इंडो-इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन' (आईआईसीएफ) ने मस्जिद के विकास के लिए बनी एक समिति समेत चार समितियों को भंग कर दिया है। फाउंडेशन, मस्जिद निर्माण परियोजना के लिए धन जुटाने में तेजी लाने की संभावना तलाश रहा है क्योंकि यह परियोजना धन की कमी से प्रभावित हुई है।

आईआईसीएफ के मुख्य न्यासी और सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के चेयरमैन जुफर फारुकी ने बताया कि 19 सितंबर को हुई आईआईसीएफ की बैठक में यह निर्णय लिया गया। यह बैठक फारुकी की अध्यक्षता में हुई थी। आईआईसीएफ के सदस्यों ने कहा कि अब उनका ध्यान बेहतर समन्वय स्थापित करने और विदेशी अंशदान (नियमन) अधिनियम (एफसीआरए) के तहत आवश्यक मंजूरियां हासिल करने की प्रक्रिया तेज करने पर है जिसके बाद ट्रस्ट विदेशों से चंदा प्राप्त करने में समर्थ होगा।

आईआईसीएफ के सदस्यों ने स्वीकार किया कि अयोध्या के धन्नीपुर गांव में पांच एकड़ का भूखंड आवंटित किए जाने के बाद से पिछले चार वर्षों में केवल एक करोड़ रुपये जुटाया गया है जोकि “शर्मिंदा करने वाली बात” है। छह दिसंबर, 1992 को बाबरी मस्जिद ढहाए जाने के बाद नये स्थल पर मस्जिद निर्माण के लिए यह भूखंड आवंटित किया गया था। आईआईसीएफ के सचिव अतर हुसैन ने  बताया, ‘‘ट्रस्ट ने इस संबंध में सभी जरूरी ब्यौरे केंद्र को मार्च में उपलब्ध करा दिए हैं और अब पूरा ध्यान आवश्यक मंजूरियां हासिल कर मस्जिद निर्माण परियोजना में तेजी लाने पर है।”

जिन समितियों को भंग किया गया है, उनमें प्रशासनिक समिति, वित्त समिति, विकास समिति-मस्जिद मोहम्मद बिन अब्दुल्ला और मीडिया एवं प्रचार समिति शामिल हैं। उल्लेखनीय है कि लंबी कानूनी लड़ाई के बाद उच्चतम न्यायालय के पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने नौ नवंबर, 2019 को 2.77 एकड़ भूमि राम मंदिर निर्माण के लिए ट्रस्ट को सौंप दी थी और मस्जिद के लिए अयोध्या में एक प्रमुख स्थान पर पांच एकड़ भूमि आवंटित की थी। एक ओर जहां राम जन्मभूमि पर एक भव्य राम मंदिर लगभग बनकर तैयार है और 22 जनवरी, 2024 को राम लला की प्राणप्रतिष्ठा भी हो गई, वहीं मस्जिद निर्माण परियोजना धन की कमी के चलते सिरे नहीं चढ़ सकी। 

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