चुनाव ड्यूटी के दौरान जान गंवाने वाले अधिकारियों को मिले 1 करोड़ का मुआवजाः इलाहाबाद HC

Edited By Tamanna Bhardwaj,Updated: 12 May, 2021 10:20 AM

allahabad hc says officers who lost their lives during election duty

हाल के दिनों में उत्तर प्रदेश में चुनाव के दौरान चुनाव अधिकारियों की मृत्यु के मुद्दे पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि मुआवजे का रकम बहुत कम है और मुआवजा कम से कम एक करोड़ रुपये के करीब होना चाहिए। न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा और...

प्रयागराज: हाल के दिनों में उत्तर प्रदेश में चुनाव के दौरान चुनाव अधिकारियों की मृत्यु के मुद्दे पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि मुआवजे का रकम बहुत कम है और मुआवजा कम से कम एक करोड़ रुपये के करीब होना चाहिए। न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा और न्यायमूर्ति अजित कुमार की पीठ ने राज्य में कोविड-19 के प्रसार को लेकर दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की। 

अदालत ने कहा, ‘‘परिवार की आजीविका चलाने वाले व्यक्ति की जिंदगी का मुआवजा और वह भी राज्य और निर्वाचन आयोग की ओर से जानबूझकर उस व्यक्ति को आरटीपीसीआर सहायता के बगैर ड्यूटी करने के लिए बाध्य करने के चलते कम से कम एक करोड़ रुपये होना चाहिए। हमें आशा है कि राज्य निर्वाचन आयोग और सरकार मुआवजे का राशि पर पुनर्विचार करेगी।'' मेरठ में एक अस्पताल में 20 मरीजों की मृत्यु पर अदालत ने कहा, ‘‘भले ही यह एंटिजेन टेस्टिंग के लिए संदिग्ध रूप से कोरोना से मृत्यु हो, हमारा विचार है कि मृत्यु के इस तरह के सभी मामलों को कोरोना से मृत्यु के मामले के तौर पर लिया जाना चाहिए।'' अदालत ने मेरठ के मेडिकल कालेज के प्रधानाचार्य को उन 20 मृत्यु की सटीक रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया।

प्रधानाचार्य ने अदालत को बताया कि मृत्यु की तिथि से पूर्व, 20 व्यक्तियों को अस्पताल में भर्ती किया गया था जिसमें से तीन व्यक्ति कोरोना से संक्रमित पाए गए थे, जबकि अन्य का एंटिजेन टेस्ट कराया गया और रिपोर्ट निगेटिव आई थी। सरकारी और निजी अस्पताल के कर्मचारियों एवं जिला प्रशासन के कर्मचारियों द्वारा असहयोग के मामले में अदालत ने निर्देश दिया कि हर जिले में तीन सदस्यीय महामारी लोक शिकायत समिति का गठन किया जाएगा। यह समिति इस आदेश के 48 घंटे के भीतर अस्तित्व में आ जाएगी।

इस संबंध में मुख्य सचिव (गृह) सभी जिलाधिकारियों को आवश्यक निर्देश जारी करें। लेवेल 1, 2 और लेवल 3 अस्पतालों में उपलब्ध कराए जाने वाले भोजन का विवरण उपलब्ध नहीं कराए जाने और लेवल 1 वर्ग के अस्पताल में प्रति मरीज 100 रुपये आबंटित किए जाने की जानकारी दिए जाने पर अदालत ने कहा, ‘‘यह सभी जानते हैं कि कोविड-19 मरीजों को अत्यधिक पोषक भोजन की जरूरत होती है जिसमें फल और दूध शामिल हैं। यह समझ से परे है कि सरकार कैसे प्रति व्यक्ति 100 रुपये से तीन समय के भोजन का प्रबंधन कर रही है।'' 

इलाहाबाद उच्च न्यायालय के दिवंगत न्यायमूर्ति वीके श्रीवास्तव के इलाज के मुद्दे पर अदालत ने कहा, ‘‘दस्तावेजों से पता चलता है कि उन्हें जीवन रक्षक दवा रेमडेसिवर लेने की सलाह दी गई थी। हालांकि कागजों से यह पता नहीं चलता कि वास्तव में उन्हें पहले दिन या बाद के दो दिनों में यह दवा दी गई कि नहीं।'' अदालत ने कहा, ‘‘दस्तावेजों से पता चलता है कि 24 अप्रैल को शाम 7 बजकी 20 मिनट तक उनके शरीर में कोई गड़बड़ी पैदा नहीं हुई थी और इसके बाद स्थिति खराब होनी शुरू हुई। प्रथम दृष्टया हमारा विचार है कि इस मामले में चूंकि रिकार्ड पूर्ण नहीं हैं, इस मामले की जांच के लिए सरकार एक समिति का गठन करे।'' अदालत ने मामले की अगली सुनवाई की तारीख 17 मई निर्धारित की। 

Related Story

Trending Topics

IPL
Royal Challengers Bengaluru

190/9

20.0

Punjab Kings

184/7

20.0

Royal Challengers Bengaluru win by 6 runs

RR 9.50
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!