Edited By Punjab Kesari,Updated: 23 Mar, 2018 10:20 AM
मुजफ्फरनगर और शामली दंगे में केस वापसी के योगी सरकार के फैसले पर सियासत तेज हो गई है। तमाम विपक्षी दलों ने इसे योगी सरकार की वोट बैंक की राजनीति करार दिया है। किसी ने इसे हिंदुत्व तुष्टिकरण की संज्ञा दी तो किसी ने सरकार के इस कदम को राजनीतिक हथियार...
लखनऊ: मुजफ्फरनगर और शामली दंगे में केस वापसी के योगी सरकार के फैसले पर सियासत तेज हो गई है। तमाम विपक्षी दलों ने इसे योगी सरकार की वोट बैंक की राजनीति करार दिया है। किसी ने इसे हिंदुत्व तुष्टिकरण की संज्ञा दी तो किसी ने सरकार के इस कदम को राजनीतिक हथियार करार दिया।
एआईएमआईएम के असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि यह हिंदुत्व तुष्टिकरण है। उन आरोपियों में कई भाजपा के सांसद और एमएलए भी थे। ओवैसी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने स्पेशल कोर्ट बनाए जाने की बात कही लेकिन यह लोग स्पेशल कोर्ट बनने से पहले इन लोगों को बचाना चाहते हैं। दूसरी बात यह है कि भाजपा हमेशा मुस्लिम तुष्टीकरण की बात करती है। यह हिंदुत्व तुष्टिकरण है। उत्तर प्रदेश में रूल ऑफ लॉ नहीं, रूल ऑफ रिलीजन है।
वहीं सपा के वरिष्ठ नेता राम गोपाल यादव ने कहा कि सरकार ने दंगा पीड़ितों के लिए कुछ नहीं किया। योगी सरकार केस वापसी सिर्फ वोट बैंक साधने के लिए कर रही है। कांग्रेस नेता पीएल पुनिया ने कहा कि मुजफ्फरनगर के दंगों में शामिल लोगों को योगी सरकार के एक साल पूरे होने का गिफ्ट मिला है। जो सरकार केस को वापस ले रही है। लेकिन हमें अदालत पर भरोसा है। हम अपना विरोध जारी रखेंगे। उधर भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (माक्र्सवादी) उत्तर प्रदेश की राज्यमंत्री परिषद ने मुकदमें वापस लेने को अनुचित और पक्षपातपूर्ण बताया है।