देशद्रोही हूं तो देश के गृहमंत्री क्यों हैं खामोश- कन्हैया कुमार

Edited By ASHISH KUMAR,Updated: 11 Nov, 2017 02:48 PM

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गोमती नगर के शिरोज हैगहाउट में एसिड अटैक पीड़ितों के लिए चल रहे दो दिवसीय कार्यक्रम लखनऊ लिटरेरी फेस्टीवल पर जिला प्रशासन ने रोक लगा दी है। 10 से 12 नवंबर तक निर्धारित इस कार्यक्रम में शत्रुघ्र सिंहा, दिव्या दत्ता, असदुुद्दीन ओवैसी, यूपी के पृर्व...

उत्तर प्रदेश (आशीष पाण्डेय): गोमती नगर के हैंगहाउट शिरोज में एसिड अटैक पीड़ितों के लिए चल रहे दो दिवसीय कार्यक्रम 'लखनऊ लिटरेरी फेस्टीवल' पर जिला प्रशासन ने रोक लगा दी है। 10 से 12 नवंबर तक निर्धारित इस कार्यक्रम में शत्रुघ्र सिंहा, दिव्या दत्ता, असदुुद्दीन ओवैसी, यूपी के पृर्व राज्यपाल अजीज कुरैशी सहित कई जानी मानी हस्तियों को आमंत्रित किया गया है। कार्यक्रम के पहले दिन ही दिल्ली के जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार को जोरदार विरोध झेलना पड़ा। कन्हैया कुमार को उनकी किताब बिहार टू तिहाड़ पर चर्चा के लिए लिटरेरी फेस्टिवल में बुलाया गया था। भारतीय जनता युवा मोर्चा (भाजयुमो) और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के सदस्यों ने कार्यक्रम के दौरान ही कन्हैया का विरोध करना शुरू कर दिया। विरोध इतना बढ़ गया कि कन्हैया के समर्थकों और विरोध करने वालों के बीच हाथापाई भी शुरू हो गई। कन्हैया के सिर व पीठ पर भी चोट लग गई। मामला गंभीर होता देख एसिड अटैक पीड़िताओं ने घेरा बनाकर कन्हैया कुमार को बचाया।

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देश द्रोही हूं तो सरकार ने सुरक्षा क्यों दी है? 
हंगामे के बाद कन्हैया कुमार माइक संभालते हुए कहा कि वे देशद्रोही नहीं हैं। स्वतंत्रता सेनानी के खानदान से आते हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें गोली भी मार दी जाएगी तब भी वे संघर्ष के मैदान से नहीं हटेंगे। विरोध करने वाले लोगों से कन्हैया ने कहा कि आप जाकर गृह मंत्री से सवाल क्यों नहीें करते हैं कि अगर मैंने देश के खिलाफ कुछ बोला तो है तो मेरे खिलाफ आरोप पत्र क्यों नहीं दाखिल किया गया? इतना ही नहीं सरकार ने खुद ही मुझे सुरक्षा प्रदान की है। हंगामे के बाद हरकत में आए जिला प्रशासन का कहना है कि कार्यक्रम में शामिल होने वाले अतिथियों की सूची में कन्हैया कुमार और शत्रुघ्न सिन्हा का आना शामिल नहीं था। प्रशासन ने इसे अनुमति के शर्तों का उल्लंघन मानते हुए लिटरेरी फेस्टिवल के आगे के कार्यक्रम पर रोक लगा दी। देर शाम कल इस कार्यक्रम में हंगामे के बाद जिला प्रशासन ने लखनऊ लिटरेरी फेस्टिवल को रद्द कर दिया।

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अरबपति से भरी पड़ी है संसद 
कार्यक्रम में आमंत्रित सदस्यों में से यूपी के पूर्व राज्यपाल अजीज कुरैशी भी वहीं मौजूद थे। हालांकि हंगामे के बाद वो मंच पर नहीं आए। लेकिन उन्होंने कहा कि इस बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण घटना है। ऐसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर पहरा नहीं लगाया जा सकता है। पूर्व राज्यपाल अजीज कुरैशी ने कहा कि जिस पार्लियामेंट में 450 करोड़पति अरबपति भरे हों, वो महात्मा गांधी, इंदिरागांधी, श्यामा प्रसाद मुखर्जी की पार्लियामेंट नहीं हो सकती। उन्होंने गोपाल दास नीरज के गीत वो दिन जल्द आयेगा, जब यह राजपथ जनपथ में बदल जायेगा सुनाते हुये कहा कि मैं खुद भूल गया राजपथ जनपथ को। जनपथ को छोड़ राजपथ का हो गया। धोखा दिया। यह ट्रेजडी नस्लों की है, जिन्होंने क्रांति से देश बदलने का फैसला किया था वह भटक गये। उन्होंने कहा कि संस्कृत की तरक्की के लिए कुछ नहीं हुआ। जबकि हिंदूस्तानी अदब में संस्कृत का काफी असर रहा है। अदब, शासक और साहित्य का साथ हमेशा रहेगा, इन्हें जब-जब अलग करने की कोशिश की जायेगी तो अंजाम बुरा होगा।

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'खामोश मैन' को नहीं हुआ असर
कार्यक्रम में शिरकत करने पहुंचे अभिनेता शत्रुघ्न सिन्हा भी हंगामे के वक्त  खामोश रहे। शत्रुघ्न की बायोपिक एनीथिंग बट खामोश को लिखने वाली भारती प्रधान ने शत्रुघ्न सिन्हा से खूब बातें की। कार्यक्रम में हुए हंगामे पर शत्रुघन ने कहा कि मैंने पूरा देश घूमा है, ये सब देखता रहता हूं। इन सब चीजों से मुझ पर फर्क नहीं पड़ता है। ये युवा जोश है जो झलक जाता है। मंशा किसी कार्यक्रम को बिगाडऩे की नहीं होती है। इसके बाद शत्रुघ्न सिन्हा ने अपने खास अंदाज में खामोश बोलते हुए श्रोताओं को दिल जीत लिया।
 

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