Edited By Ajay kumar,Updated: 25 May, 2024 04:16 PM
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ओबीसी-मुस्लिम आरक्षण को लेकर आए कलकत्ता हाईकोर्ट के फैसले का स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि इंडी गठबंधन द्वारा देश की कीमत पर राजनीति की गई। जो ये नीति चल रही है, इस होड़ को खारिज और बेनकाब किया जाना चाहिए। योगी ने...
लखनऊ: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ओबीसी-मुस्लिम आरक्षण को लेकर आए कलकत्ता हाईकोर्ट के फैसले का स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि इंडी गठबंधन द्वारा देश की कीमत पर राजनीति की गई। जो ये नीति चल रही है, इस होड़ को खारिज और बेनकाब किया जाना चाहिए। योगी ने कहा, भारत का संविधान किसी को भी धर्म के आधार पर आरक्षण की अनुमति नहीं देता है।
बंगाल सरकार ने 2010 में 118 मुस्लिम जातियों को जबरन ओबीसी में डालकर दिया था आरक्षण
मुख्यमंत्री शुक्रवार को अपने सरकारी आवास पर मीडिया प्रतिनिधियों से बातचीत कर रहे थे। मुख्यमंत्री ने कहा कि पश्चिम बंगाल की टीएमसी सरकार ने राजनीतिक तुष्टिकरण की पराकाष्ठा पर चलते हुए 2010 में 118 मुस्लिम जातियों को जबरन ओबीसी में डाल कर ये आरक्षण दिया था। उन्होंने बताया कि भारत में अनुसूचित जाति और जनजाति के लिए और मंडल कमीशन के बाद ओबीसी की सामाजिक और आर्थिक पिछड़ेपन को ध्यान में रखते हुए आरक्षण की व्यवस्था की गई थी। मुख्यमंत्री ने कलकत्ता हाईकोर्ट के फैसले को नजीर बताते हुए कहा कि कर्नाटक के अंदर भी कांग्रेस सरकार ने ओबीसी के अधिकार पर इसी प्रकार की सेंधमारी करते हुए मुसलमानों को आरक्षण देने का काम किया है। साथ ही आंध्र प्रदेश में भी इसी प्रकार की शरारत की गई थी। इन सबका जोरदार विरोध करना जरूरी है।
उम्र में जाति के आधार पर मिल रहा आरक्षण
राज्य में पिछड़े वर्ग के लोगों को धर्म नहीं, जाति के आधार पर आरक्षण का लाभ दिया जा रहा है। इस सिलसिले में शासन स्तर से जानकारी मांगे जाने पर पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग ने ओबीसी में शामिल लोगों को सूची शासन को भेजी है। सूत्रों के अनुसार प. बंगाल में ओबीसी आरक्षण को लेकर कोलकाता हाईकोर्ट के फैसले के बाद राज्य सरकार ने आरक्षण का लाभ ले रहे वर्गों की जानकारी मांगी थी। पिछड़ा वर्ग विभाग ने अधिकारियों के साथ ओबीसी सूची पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री नरेंद्र कश्यप को भेजी है। रिपोर्ट में 79 जातियों के बारे में बताया गया है। बताया गया है कि सूची में शामिल जातियों में हिन्दू, मुस्लिम, बौद्ध व सिख धर्म के लोग हैं। कहा गया है कि इन जातियों को जातिगत आधार पर ओबीसी में शामिल किया है। धार्मिक आधार का कोई प्रावधान नहीं है।
ओबीसी सूची में शामिल हैं ये जातियां
पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग की ओर से शासन को भेजी गई ओबीसी सूची में 79 जातियों को क्रमवार उल्लेख किया गया है। इसमें पहले नंबर पर अहीर व आखिरी नंबर पर कलाल जाति शामिल हैं। पहले नंबर पर अहीर के कॉलम में यादव, युदवंशीय व ग्वाला का उल्लेख है। दूसरे नंबर पर अरख, अर्कवंशीय, तीसरे पर काछी, काछी-कुशवाहा, शाक्य, चौथे पर कहार, कश्यप, पांचवें पर केवट, मल्लाह, निषाद का उल्लेख है। इसी तरह, बाकी जातियों में किसान, कोइरी, कुम्हार, प्रजापति, कुमर्मी, चनऊ, पटेल, पटनवार, कुर्मी मल्ल, कुर्मी सैथवार, कम्बोज, कसगर, कुजड़ा या राइन, गोसाई, गूजर, गड़ेरिया, पाल, बघेल, गद्दी, घोसी, गिरि, चिकवा, कस्साव, कुरैशी, दर्जी, इदरीसी, नायर, फकीर, बंजारा, रंकी, मुकेरी, मुकेरानी, बढ़ई, बढ़ई- सैफी, विश्वकर्मा, माली, सैनी, मनिहार, कचेर, लखेरा, मुराव या मुराई, मौर्य, मोमिन असार, मिरासी, मुस्लिम कायस्थ, लोध, लोधा, लोधी, लोट, लोधी राजपूत, लोहार, लानिया, नोनिया, लोनिया-चौहान, सोनार, सुनार, स्वर्णकार, स्वीपर जो एससी में शामिल न हों, राय सिख, सक्का-भिश्ती, भिश्ती-अब्बासी, धोबी जो एससी में शामिल नहो, कसेरा, ठठेरा, ताम्रकार, संगतराश, हंसीरी, मोची, खागी, दांगी, धाकड़, गाड़ा, ततवा, जोरिया, पटवा, पटहरा, पटेहर, देववंशी व जाट आदि शामिल हैं।