Edited By Pooja Gill,Updated: 01 Nov, 2024 11:17 AM
लखनऊ: उत्तर प्रदेश सरकार प्रदेश को वर्ष 2025 तक टीबी मुक्त करने के लिए युद्धस्तर पर काम कर रही है। ऐसे में प्रदेश भर में टीबी को लेकर जागरूकता फैलाने और मरीजों की स्क्रीनिंग का काम लगातार चल रहा है...
लखनऊ: उत्तर प्रदेश सरकार प्रदेश को वर्ष 2025 तक टीबी मुक्त करने के लिए युद्धस्तर पर काम कर रही है। ऐसे में प्रदेश भर में टीबी को लेकर जागरूकता फैलाने और मरीजों की स्क्रीनिंग का काम लगातार चल रहा है। इसी के तहत राष्ट्रीय क्षय (टीबी) उन्मूलन कार्यक्रम (NTEP) के जरिए प्रदेश में नौ से 20 सितंबर तक सक्रिय टीबी रोगी खोजी (एसीएफ) अभियान चला गया। इसके जरिये प्रदेश भर में कुल 11,595 टीबी रोगियों की पहचान की गई, जिनमें से 11,571 टीबी मरीजों का नोटिफिकेशन करते हुए इलाज शुरू कर किया गया।
टीबी की पुष्टि के लिए कराई जा रही जांच और एक्सरे
राज्य क्षय रोग अधिकारी डॉ. शैलेन्द्र भटनागर ने बताया कि टीबी को जड़ से खत्म करने के लिए अभियान चलाया जा रहा है। इसी कड़ी में एसीएफ के दौरान प्रदेश की 20 फीसद आबादी के घर-घर जाकर स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं ने टीबी के संभावित लक्षण वाले लोगों की स्क्रीनिंग की। इसमें से टीबी के संभावित लक्षण वाले 4.50 लाख लोग मिले। वहीं 4.38 लाख लोगों में टीबी की जांच की पुष्टि के लिए बलगम की जांच और एक्सरे करवाया गया। इस दौरान कुल 11,595 लोगों में टीबी रोग की पुष्टि हुयी। इनमें से 5,381 लोग पल्मोनरी और 6314 लोग एक्स्ट्रा पल्मोनरी टीबी से ग्रसित मिले। इनमें से 11,571 टीबी मरीजों की डायबिटीज, एचआईवी और दवाओं के प्रति संवेदनशीलता की जांच करते हुए उनका विवरण निक्षय पोटर्ल पर चढ़ाया गया और इलाज शुरू किया गया।
इन जिलों में मिले इतने मरीज
प्रदेश में एसीएफ के तहत सर्वाधिक टीबी मरीज कुशीनगर में 1,104 मिले हैं। इसके आलावा गोरखपुर में 414, एटा में 379, लखनऊ में 345, मेरठ में 303, महराजगंज में 272, गोंडा में 271, प्रयागराज में 262 और शाहजहांपुर में 225 टीबी मरीज मिले हैं। यह अभियान ग्रामीण आबादी सहित शहरी क्षेत्रों जैसे अनाथालयों, खादानों, स्टोन क्रशर, साप्ताहिक बाजारों, मदरसा, वृद्धाश्रम, सब्जी मंडियों, कारागार, मदरसा और मलिन बस्तियों में चला।