Edited By Tamanna Bhardwaj,Updated: 06 Jun, 2024 03:54 PM
अमेठी सीट पर स्मृति ईरानी की हार ने पूरे देश को चौंका दिया है। स्मृति की हार राहुल की पिछली हार से बड़ी है। कांग्रेस के किशोरी ...
Amethi Lok Sabha Seat: अमेठी सीट पर स्मृति ईरानी की हार ने पूरे देश को चौंका दिया है। स्मृति की हार राहुल की पिछली हार से बड़ी है। कांग्रेस के किशोरी लाल शर्मा ने स्मृति को 1.30 लाख वोट से हराया हैं। वहीं, कांग्रेस के किशोरी लाल शर्मा ने पहली बार में ही भाजपा की मजबूत कैंडिडेट स्मृति को हराकर खुद को सच में ‘चाणक्य’ साबित कर दिया। स्मृति ने केएल शर्मा को हल्के में लिया, लेकिन राहुल-प्रियंका ने स्ट्रैटेजी यहां काम कर गई। एक बार फिर कांग्रेस ने अमेठी में वापसी की।
स्मृति ईरानी को उनका बड़बोलापन ले डूबा
अमेठी में स्मृति ईरानी को पांचों विधानसभा क्षेत्रों में हार का सामना करना पड़ा। अमेठी विधानसभा से शुरू हुई गुटबाजी चुनाव प्रचार के दौरान एक के बाद एक विधान सभा क्षेत्र में फैलती गई। स्मृति की हार के पीछे दलित वोटरों का भाजपा के प्रति रुझान न होना और अगड़ों की नाराजगी भी बड़ी वजह रही। वहीं, पार्टी के पुराने कार्यकर्ताओं को नजर अंदाज करना भी भाजपा को भारी पड़ा। राजनीतिक विशेषज्ञ के मुताबिक, स्मृति ईरानी को उनका बड़बोलापन ले डूबा। लोगों में स्मृति ईरानी के खिलाफ अंदर ही अंदर गुस्सा था। उन्हें सबक सिखाने के लिए लोगों ने वोट को हथियार बनाया।
आम लोगों का स्मृति से मिलना आसान नहीं था
स्मृति ने अमेठी में अपना घर भी बनाया, लेकिन लोगों के दिल में घर नहीं बना सकीं। आम लोगों का इनसे मिलना आसान नहीं था। इसके उलट, केएल शर्मा बहुत सादगी वाले व्यक्ति हैं। आम नागरिक की तरह वह चौक-चौपाटी पर उठना-बैठना करते हैं। शायद इसलिए लोगों ने यह सोचा कि क्यों न आम आदमी को चुना जाए। राजनीतिक सूत्र बताते हैं कि स्मृति का कार्यकर्ताओं के बीच उठना-बैठना कम हो गया था। बस कुछ खास कार्यकर्ताओं के साथ ही उनका सीधा संपर्क था। इसकी वजह से निचले स्तर के कार्यकर्ताओं ने दिल से जुड़कर काम नहीं किया।
संजय गांधी अस्पताल को बंद कराने के बाद लोगों में आक्रोश दिखा था
अमेठी में सांसद बनने के बाद स्मृति ने कई ऐसे कदम उठाए, जिससे लोग नाराज थे। पहली बार अमेठी के संजय गांधी अस्पताल को बंद कराने के बाद लोगों में आक्रोश दिखा था। लोगों से बात करने पर पता चला कि स्मृति का बड़बोलापन भी लोगों को पसंद नहीं आ रहा था। वह कई बार सियासी मंचों से गांधी परिवार के लिए उल्टे-सीधे शब्दों का इस्तेमाल करती रहीं, जो लोगों को पसंद नहीं आ रहे थे। कांग्रेस इसी गुस्से को वोट में बदलने में कामयाब रही। अभी कुछ दिन पहले ही स्मृति ईरानी ने प्रियंका की मिमिक्री की थी, जो सोशल मीडिया पर काफी वायरल हुई।
लोकसभा चुनाव में स्मृति ने मुझे बहुत कम आंका था- किशोरी लाल
इस पर किशोरी लाल शर्मा ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि मैं 40 साल से अमेठी में काम रहा हूं। इस चुनाव में मैं अपने कार्यकर्ताओं का मूड भांप गया था। इस दौरान गांधी परिवार ने भी मेरी बहुत मदद की है। अमेठी में स्मृति ईरानी ने 5 साल तक सिर्फ अहंकार की राजनीति की थी। इसलिए अमेठी की जनता ने स्मृति का अहंकार देखकर हरा दिया। बीजेपी अमेठी में बिना होमवर्क के राजनीति कर रही थी। शायद इसलिए इस लोकसभा चुनाव में स्मृति ने मुझे बहुत कम आंका था, क्योंकि मैं लो प्रोफाइल में रहता हूं।
कौन हैं किशोरी लाल शर्मा?
किशोरी लाल शर्मा मूल रूप से पंजाब के लुधियाना के रहने वाले हैं। साल 1983 में जब पहली बार राजीव गांधी ने रायबरेली और अमेठी में कदम रखा, तब शर्मा भी उनके साथ आए। राजीव गांधी की मौत के बाद भी गांधी परिवार से उनके रिश्ते अच्छे रहे। जब सोनिया गांधी सक्रिय राजनीति में उतरीं तो किशोरी लाल शर्मा उनके करीबी सहयोगी बन गए। उनके साथ लगातार रायबरेली और अमेठी जाते रहे। जब सोनिया गांधी ने राहुल के लिए अमेठी सीट छोड़ी तो किशोरी शर्मा को अमेठी का जिम्मा सौंप दिया गया। तब से वह लगातार राहुल गांधी का इलेक्शन मैनेज करते आ रहे थे।