Edited By Umakant yadav,Updated: 08 Jan, 2021 12:20 PM
उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव के पहले सभी राजनीतिक पार्टियों ने कमर कस ली है। वे अपनी-अपनी रणनीति बनाने में जुट गई हैं। सूबे में चुनाव कराने की तैयारियां भी जोरों पर चल रही हैं। पंचायत चुनाव को लेकर कई जिलों में कर्मचारियों की ड्यूटी को लेकर भी काम...
लखनऊ: उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव के पहले सभी राजनीतिक पार्टियों ने कमर कस ली है। वे अपनी-अपनी रणनीति बनाने में जुट गई हैं। सूबे में चुनाव कराने की तैयारियां भी जोरों पर चल रही हैं। पंचायत चुनाव को लेकर कई जिलों में कर्मचारियों की ड्यूटी को लेकर भी काम शुरू हो चुका है। हालांकि यूपी में पंचायत चुनाव की तारीख की घोषणा अभी बाकी है पंचायत चुनाव समय से कराना सरकार की प्राथमिकताओं में से एक है। अनुमान है कि चुनाव मार्च के अंतिम सप्ताह या अप्रैल के शुरुआती सप्ताह में हो पाएंगे। आगे 21-21 दिन की अधिसूचना पर जिला पंचायतों के अध्यक्ष और क्षेत्र पंचायतों के प्रमुखों का चुनाव संपन्न कराने का काम किया जाएगा।
पन्ना प्रमुख के कार्यों पर डालते हैं एक नजर
जिला पंचायत चुनाव में हर मतदान बूथ के एक-एक मतदाता पर भाजपा के पन्ना प्रमुख की नजर रहेगी। इनके जरिए पंचायत चुनाव के साथ विधानसभा चुनाव की तैयारियों का आगाज भी होगा। भाजपा ने जिला पंचायतों में जीत के लिए हर स्तर पर रणनीति तैयार की है। ‘बूथ जीता तो सब जीता’ की रणनीति के आधार पर हर बूथ पर 10 से 15 पन्ना प्रमुख तैनात किए जाएंगे। हर मतदान बूथ की मतदाता सूची को पन्ना प्रमुखों में बांटा जाएगा। पन्ना प्रमुख को अपनी सूची में शामिल मतदाताओं से संपर्क कर उन्हें भाजपा के समर्थन में मतदान करने के लिए तैयार करना होगा। अगर कोई मतदाता नाराज है तो नाराजगी का कारण पताकर बूथ अध्यक्ष के जरिए पार्टी को सूचित करना होगा। यही नहीं मतदान के दिन पन्ना प्रमुख अपने सूची के मतदाताओं को लाकर मतदान कराएंगे। बाद में इसकी रिपोर्ट बूथ अध्यक्ष को देंगे।
लोकसभा चुनाव-2019 में भाजपा का पन्ना प्रमुख का प्रयोग रहा सफल
गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव-2019 में भाजपा ने पन्ना प्रमुख का प्रयोग किया था, जो सफल रहा था। पार्टी के रणनीतिकारों का मानना है कि पंचायत चुनाव में पन्ना प्रमुख से जो फीडबैक मिलेगा, वह विधानसभा चुनाव-2022 के लिए रणनीति बनाने में काम आएगा। पंचायत चुनाव के लिए भाजपा की जिलास्तरीय बैठकें 7 से 17 जनवरी तक होंगी। इस दौरान पार्टी के प्रदेश व क्षेत्रीय पदाधिकारी जिलों में जाकर संभावित उम्मीदवार, सामाजिक समीकरण समेत अन्य मुद्दों पर कार्यकर्ताओं से बात करेंगे। वे 18 जनवरी के बाद अपनी रिपोर्ट प्रदेश नेतृत्व को सौंपेंगे। इसके आधार पर हर जिले की चुनावी रणनीति तैयार की जाएगी।
भाजपा पदाधिकारियों ने रणनीति बनाने के लिए शुरू की बैठक
गुरूवार को प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह सिद्धार्थनगर और महामंत्री संगठन सुनील बंसल कानपुर नगर एवं कानपुर देहात में बैठक की। प्रदेश सह-महामंत्री (संगठन) भवानी सिंह व गोरखपुर क्षेत्र अध्यक्ष धर्मेंद्र सिंह संतकबीरनगर, प्रदेश महामंत्री अमरपाल मौर्य लखनऊ, अवध क्षेत्र के अध्यक्ष शेष नारायण मिश्र बहराइच में बैठक की। जबकि 8 जनवरी को प्रदेश सह-प्रभारी सत्या कुमार कन्नौज व संजीव चैरसिया गौतमबुद्धनगर, प्रदेश सह-महामंत्री (संगठन) कर्मवीर व प्रदेश महामंत्री जेपीएस राठौर मेरठ, प्रदेश महामंत्री अमरपाल मौर्य हरदोई, प्रदेश महामंत्री अश्वनी त्यागी आगरा, अवध क्षेत्र अध्यक्ष शेष नारायण मिश्र श्रावस्ती, कानपुर क्षेत्र अध्यक्ष मानवेंद्र प्रताप सिंह औरैया, काशी क्षेत्र अध्यक्ष महेश चंद्र श्रीवास्तव सोनभद्र में बैठक करेंगे। 10 जनवरी को इस संबंध में एक अहम बैठक होने जा रही है।
इस बार जिला पंचायतों के आरक्षण में नहीं होगा कोई बदलाव
जिला पंचायतों का आरक्षण राज्य मुख्यालय से तय होता रहा है। इस बार भी ऐसे ही होगा। इसमें कोई बदलाव नहीं किया जाएगा। बाकी ग्राम पंचायत व क्षेत्र पंचायत की सीटों का आरक्षण जिला मुख्यालय से ही तय करने का काम किया जाएगा। इस बारे में शासनादेश जारी करने का काम होगा। आरक्षण की प्रक्रिया के लिए अभी वक्त है। पंचायतीराज विभाग इसी समय सीमा के आधार पर अपनी तैयारी में जुटा हुआ है। परिसीमन पूरा होने के बाद आरक्षण निर्धारण की प्रक्रिया पूरी होगी।