UP: शिक्षा व्यवस्था जस की तस, शिक्षकों को नहीं पता PM का नाम

Edited By ,Updated: 02 Dec, 2016 03:49 PM

up  education  remains the same  the teachers do not know the name of pm

भले ही उत्तर प्रदेश सरकार सरकारी स्कूलों में शैक्षिक स्तर पर करोड़ों रुपये फूंक रही हो लेकिन इसका कोई फायदा नहीं हो रहा है। प्राथमिक विद्यालय आज भी बच्चे व शिक्षकों की कमी से जूझ रहा है जिसका खामियाजा विद्यार्थियों को भुगतना पड़ रहा है।

शामली/उ.प्र.(सरफराज अली): भले ही उत्तर प्रदेश सरकार सरकारी स्कूलों में शैक्षिक स्तर पर करोड़ों रुपये फूंक रही हो लेकिन इसका कोई फायदा नहीं हो रहा है। प्राथमिक विद्यालय आज भी बच्चे व शिक्षकों की कमी से जूझ रहा है जिसका खामियाजा विद्यार्थियों को भुगतना पड़ रहा है। जहां एक तरफ स्कूलों में बच्चों को टाट पट्टी और चटाई पर बैठकर पढ़ाई करनी पड़ रही हैं तो वहीं दूसरी तरफ शिक्षकों की लापरवाही की वजह से शिक्षा नहीं पूरी हो पा रही है। शिक्षक बच्चों की पढ़ाई के प्रति जरा भी गंभीर नहीं दिख रहे हैं। स्कूल में जहां शिक्षिकाएं आपस में बैठकर गुफ्तगू करने में मस्त हैं वहीं शिक्षक घंटों तक मोबाइल पर बात करने में लगे हुए हैं। 

विद्यालय के बरामदे में ही गंदगी का ढेर 
शामली आदर्श मण्डी थाना क्षेत्र स्थित भैंसवाल रोड प्राथमिक विद्यालय आज भी बच्चे व शिक्षकों की कमी से जूझ रहा है। विद्यालय की बिल्डिंग पूरी तरह से धवस्त है। दीवारों में लंबी-लंबी दरारें पड़ी हैं और विद्यालय के बरामदे में ही गंदगी का ढेर लगा है। जिसके चलते वहां पर बच्चे पढऩे के लिए आने से कतराते हैं। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने सुबे की अखिलेश सरकार को शिक्षा स्तर को लेकर कड़ी फटकार भी लगाई थी। इसके बावजूद भी शिक्षा व्यवस्था में कोई सुधार देखने को नहीं मिल रहा है। 

शिक्षिका को नहीं पता प्रधानमंत्री का नाम 
कहीं पर शिक्षकों की किल्लत है तो कहीं पर कई प्राथमिक विद्यालय सालों से बन्द पड़े हैं। लेकिन हद तो तब हो गई जब प्राथमिक विद्यालय गोहरनी नंबर-1 में शिक्षिका से देश के प्रधानमंत्री का नाम पूछा गया तो उत्तर आया मनमोहन सिंह।

-प्राथमिक विद्यालय भैसवाल में शिक्षिका ने पी.वी. सिन्धु को बैडमिन्टन खिलाड़ी बताया। इतना ही नहीं शिक्षिका को उप राष्ट्रपति व राज्यपाल का नाम तक नहीं पता। अब ऐसे में सवाल ये उठता है जब शिक्षक भी नहीं जानते कि हमारे देश के प्रधानमंत्री कौन हैं तो वो बच्चों को कैसे पढ़ा पाएंगे।

मोबाइल पर व्यस्त रहे शिक्षक
-प्राथमिक विद्यालय नंबर दो लिलौन गेट पर अंदर से ताला लगा हुआ था। कक्षा चार में बच्चे बैठे मिले मगर अध्यापक मौजूद नहीं थे। कुछ बच्चे हैंडपंप पर पानी पी रहे थे। एक ट्रेनी अध्यापक और अध्यापिका प्रधानाध्यापक के कार्यालय में बैठे थे। वहीं एक अन्य अध्यापिका मैदान में टहलती हुई मोबाइल फोन पर वार्ता में व्यस्त थी। विद्यालय में 187 बच्चों का दाखिला है जिनमें से 123 बच्चे उपस्थित थे। प्रधानाध्यापक रविंद्र कुमार के अलावा छह अध्यापक हैं, जिनमें तीन ट्रेनी अध्यापक हैं। दो अध्यापिकाएं अवकाश पर हैं, तो प्रधानाध्यापक और एक अध्यापक तहसील में मीटिंग के संबंध में गए थे। एक अध्यापक वेतन आहरण के संबंध में बीएसए दफ्तर गए हुए थे। ज्यादा संख्या में बच्चे बगैर ड्रेस के मिले, जबकि प्रदेश सरकार की ओर से बच्चों को निशुल्क ड्रेस वितरण कराया गया है। ड्रेस कुछ ही बच्चों को वितरित की गई। 

अधिकतर रसोईयों पर लटके मिले ताले
मध्याह्न भोजन वितरण के बारे में बात करें तो अधिकतर रसोईयों पर ताले लटके मिले और कहीं तो क्लास रूम में ही रसोई गैस चुल्हे व सिलेण्डर मिले। ऐसे में कोई भी हादसा कभी भी हो सकता है। अभी दो दिन पूर्व ही काँधला के प्राथमिक स्कूल में सिलेण्डर में आग लगने से बड़ी दुर्घटना होने से बची है।

प्राथमिक विद्यालय नंबर एक मालैंडी
स्कूल का गेट बंद था। अंदर मैदान में बैठी तीन अध्यापिकाएं आपस में बातचीत कर रही थीं। बच्चे भी मैदान में इधर उधर घूम रहे थे। एक बच्चे ने आकर गेट खोला। फोटो खींचने पर एक अध्यापिका ने टोका कि फोटो क्यों खींच रहे हो। स्कूल में 111 बच्चों का दाखिला है, जिनमें से 60 की उपस्थिति थी। इन्हें पढ़ाने के लिए एक पुरुष और पांच महिला शिक्षिकाओं की तैनाती है। कमरे के बाहर बरामदे में कुछ बच्चे जूट के मैट पर, तो कुछ बरामदे की छोटी दीवार पर ही बैठे थे। इनमें एक बच्चा सोता हुआ भी मिला। छात्र बगैर ड्रेस के मिले तो छात्राएं ड्रेस पहने हुए थीं। किताबों का वितरण भी कुछ ही बच्चों को हुआ जबकि अधिकांश पुरानी किताबों से पढ़ाई कर रहे थे।

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