उन्नाव गैंगरेप मामला: हाईकोर्ट ने UP सरकार से मांगी रिपोर्ट

Edited By Punjab Kesari,Updated: 12 Apr, 2018 07:25 AM

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उन्नाव गैंगरेप मामले में जहां आरोपी भाजपा विधायक कुलदीप सिंह सेंगर की मुश्किलें बढ़ रही हैं वहीं विधायक की पत्नी उनके बचाव में आ गई हैं। मामले की जांच के लिए गठित एसआईटी की टीम बुधवार को उन्नाव पहुंची और पीड़ित परिवार से मिली।

नई दिल्ली/लखनऊ: उन्नाव गैंगरेप मामले में जहां आरोपी भाजपा विधायक कुलदीप सिंह सेंगर की मुश्किलें बढ़ रही हैं वहीं विधायक की पत्नी उनके बचाव में आ गई हैं। मामले की जांच के लिए गठित एसआईटी की टीम बुधवार को उन्नाव पहुंची और पीड़ित परिवार से मिली। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस संबंध में रिपोर्ट मांगी है। वहीं पीड़िता ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से अपील की है कि वह उसे न्याय दिलाएं। पीड़िता का कहना है कि दोषियों को फांसी की सजा मिलनी चाहिए।

दूसरी ओर आरोपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर की पत्नी संगीता सेंगर ने बुधवार को डीजीपी ओपी सिंह से मुलाकात की और अपने पति को न्याय दिलाने की मांग की। भाजपा विधायक की पत्नी संगीता ने रोते हुए कहा कि  मेरे पति और रेप पीड़िता का नारको टैस्ट करवाकर देख लें, सच्चाई सामने आ जाएगी। यही नहीं, अब यह केस इलाहाबाद हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक में पहुंच गया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस मामले पर यूपी सरकार से रिपोर्ट मांगी है जबकि देश की शीर्ष अदालत ने सीबीआई जांच की मांग वाली याचिका को स्वीकार कर लिया है। वहीं कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी दुष्कर्म की शिकार युवती के परिजनों से आज मिल सकते हैं।

एसपी उन्नाव की रिपोर्ट
न्यायिक अभिरक्षा में पीड़ित किशोरी के पिता की मौत के मामले में एसपी उन्नाव ने अपनी रिपोर्ट शासन को भेजी है। रिपोर्ट में 10 माह से दोनों पक्षों के बीच मुकद्दमेबाजी व बढ़ती रंजिश की बात सामने आई है।

योगी को बर्खास्त किया जाए: कांग्रेस
कांग्रेस ने यूपी सरकार पर महिला सुरक्षा में विफल रहने का आरोप लगाया तथा प्रदेश सरकार को ‘रावण राज’ करार देते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को बर्खास्त करने की मांग की। कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सिंह सुर्जेवाला ने कहा कि योगी को अब मुख्यमंत्री के पद पर बने रहने का कोई अधिकार नहीं है।

पीड़िता के पिता का अंतिम संस्कार न किया जाए: उच्च न्यायालय
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने आदेश दिया कि उन्नाव सामूहिक दुष्कर्म पीड़िता के पिता का अंतिम संस्कार नहीं किया जाए, अगर पहले ही ऐसा न किया जा चुका हो। मुख्य न्यायाधीश डीबी भोसले और न्यायमूर्ति सुनीत कुमार की पीठ ने वरिष्ठ वकील गोपाल स्वरूप चतुर्वेदी द्वारा इस घटना के बारे में एक पत्र का स्वत: संज्ञान लेते हुए यह आदेश दिया।

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