"जब तक पैसा था तो खा लिया, अब नहीं है पैसा तो क्या करें"

Edited By Tamanna Bhardwaj,Updated: 29 Mar, 2020 05:38 PM

the workers reached the bus station and expressed their pain

दिल्ली और उत्तर प्रदेश के आसपास के अन्य राज्यों से राजधानी लखनऊ पहुंचे सभी दिहाड़ी मजदूरों का एक जैसा हाल था। कई किलोमीटर का रास्ता परिवार समेत पैदल ही नापने के बाद बसों के जरिए शनिवार और रविवार लखनऊ के चारबाग बस अड्डे पहुंचे मजदूरों का कहना था...

लखनऊः दिल्ली और उत्तर प्रदेश के आसपास के अन्य राज्यों से राजधानी लखनऊ पहुंचे सभी दिहाड़ी मजदूरों का एक जैसा हाल था। कई किलोमीटर का रास्ता परिवार समेत पैदल ही नापने के बाद बसों के जरिए शनिवार और रविवार लखनऊ के चारबाग बस अड्डे पहुंचे मजदूरों का कहना था कि अब दिल्ली में रुक कर वे क्या करेंगे क्योंकि जब तक पैसा था तो खा लिया और अब पैसा नहीं है तो वहां क्या करें, ऐसे में घर जाना ही बेहतर है। भोजन-पानी के प्रबंध को लेकर दिल्ली सरकार के प्रति कई लोगों में नाराजगी नजर आई।
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उनका कहना था कि खाना खत्म हो गया, पैसे रहे नहीं तो वहां रुक कर क्या करें। जब सवाल किया गया कि सरकार की ओर से भोजन -पानी का प्रबंध किया गया था या नहीं तो जवाब था कि ऐसा कोई प्रबंध नहीं किया गया। इसी वजह से वे अपने घरों को लौटने के लिए मजबूर हुए। हजरत निजामुद्दीन से लखनऊ पहुंचे पंकज चौहान ने कोरोना से बचने के लिए एहतियातन चेहरे पर रुमाल बांध रखा था। उन्हें कानपुर जाना था और वह वह अपनी बस की प्रतीक्षा कर रहे थे।

इस सवाल पर कि दिल्ली छोड़कर क्यों चले आए, क्या वहां की सरकार ने कोई व्यवस्था नहीं की थी तो चौहान का जवाब था, "हमारे कमरे पर राशन पानी सब खत्म हो गया था ।" जब पूछा, क्या मिला नहीं ? आप लोगों ने कहीं देखा नहीं, पता नहीं किया ?, तो जवाब आया हमारे पैसे खत्म हो गए थे। जब कहा गया कि दिल्ली की सरकार तो कह रही थी कि पैसे दिलवाएंगे तो चौहान ने कहा, "कब तक रहेंगे ऐसे .... भूखे थोड़ा ना मरेंगे।" कुछ मुसाफिरों से सवाल किया गया कि दिल्ली छोड़ कर क्यों चले आए, उनका स्पष्ट जवाब मिला, "जब तक पैसा था तो खा लिया, अब नहीं है पैसा तो क्या करें ?" जब बताया गया कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा था कि साधन मुहैया कराए जाएंगे तो क्या साधन मुहैया नहीं कराए, तो मुसाफिरों ने कहा, "जब तक केजरीवाल करेंगे .... जब कुछ रहेगा ही नहीं तो क्या करेंगे .... सब के चक्कर में ऐसे बैठे रहेंगे तो मर ही जाएंगे।।"

उल्लेखनीय है कि केजरीवाल ने ट्वीट किया था, ‘‘ यूपी और दिल्ली - दोनों सरकारों ने बसों का इंतज़ाम तो कर दिया। लेकिन मेरी अभी भी सभी से अपील है कि वे जहां है, वहीं रहें। हमने दिल्ली में रहने, खाने, पीने, सबका इंतज़ाम किया है। कृपया अपने घर पर ही रहें। अपने गाँव ना जायें। नहीं तो लॉकडाउन का मक़सद ही खतम हो जाएगा।'' दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा,‘‘दिल्ली सरकार की क़रीब 100 और उत्तर प्रदेश सरकार की क़रीब 200 बसें दिल्ली से पैदल जाने की कोशिश कर रहे लोगों को लेकर जा रही है । फिर भी सभी से मेरी अपील है कि लॉकडाउन का पालन करें। कोरोना का असर नियंत्रित रखने के लिए यही समाधान है। बाहर निकलने में कोरोना का पूरा ख़तरा है।'' 

इसके बावजूद मजदूरों का दिल्ली से पलायन जारी रहा और दिल्ली से लगी उत्तर प्रदेश की सीमा पर विशेषकर आनंद विहार बस टर्मिनल पर हजारों की संख्या में लोग एकत्रित हो गए। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दूसरे राज्यों से आए यूपी और बिहार के लोगों के लिए रातों रात 1000 बसों का इंतजाम कर उन्हें उनके गंतव्य तक पहुंचाने की पहल की। उत्तर प्रदेश सरकार के एक अधिकारी ने ' भाषा ' को शनिवार को बताया था कि दूसरे राज्यों से आए यूपी और बिहार के लोगों के लिए मुख्यमंत्री योगी रात भर जगे रहे । परिवहन अधिकारी, ड्राइवर एवं कंडक्टर रातों-रात घरों से जगा कर बुलाए गए। रातों रात ही 1000 बसों का इंतज़ाम किया गया। अधिकारी ने कहा, "सीएम योगी ने रात भर जाग कर नोएडा, गाजियाबाद ,बुलंदशहर, अलीगढ़, हापुड़ आदि इलाक़ों में 1000 से ज्यादा बसें लगाकर इनको गंतव्य तक पहुंचाने की व्यवस्था कराई ।" 

उन्होंने बताया की उक्त जिलों में पहुंचे लोगों और उनके परिवार वालों विशेषकर बच्चों के लिए भोजन का इंतजाम भी कराया गया। उल्लेखनीय है कि लॉक डाउन के दौरान काम नहीं होने की वजह से उत्तर प्रदेश, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के आसपास के अन्य राज्यों में काम कर रहे मजदूरों का जत्था प्रदेश की सीमा से सटे जिलों में देखा जा सकता है जो पैदल ही अपने गंतव्य की ओर चल पड़ा है । ये लोग अपने घरों को जाना चाहते थे हालांकि लॉक डाउन के कारण लोगों की आवाजाही पूरी तरह से बंद है। इस बीच राजधानी लखनऊ के चारबाग बस स्टेशन पर शनिवार और रविवार पहुंचे यात्रियों की पुलिस प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों ने मदद की।

अधिकारी ने बताया कि कानपुर, बलिया, बनारस गोरखपुर, आजमगढ़, फैजाबाद, बस्ती, प्रतापगढ़, सुल्तानपुर, अमेठी, रायबरेली, गोंडा, इटावा, बहराइच, श्रावस्ती ऐसे कई जिलों की बसें यात्रियों को बैठाकर भेजी गई हैं । पुलिस महानिदेशक हितेश चंद्र अवस्थी और लखनऊ के पुलिस आयुक्त सुजीत कुमार पांडे ने लोगों के खाने और पानी की व्यवस्था भी करवाई। उल्लेखनीय है कि दिल्ली से हजारों मजदूरों के पलायन पर वहां की सत्ताधारी आम आदमी पार्टी और उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार के बीच शनिवार को ट्वीट युद्ध भी हुआ।

योगी के सूचना सलाहकार मृत्युंजय कुमार ने ट्वीट कर कहा था कि दिल्ली से हो रहा ये भारी पलायन आपकी (केजरीवाल) सरकार की ही देन है। इन्हें न आसरा मिला, न खाना, न पानी। मूसलाधार बारिश में सर छुपाने को छत तक नहीं.. योगी सरकार ने रातों रात बसें लगाकर इनके रहने खाने की व्यवस्था की है। आप विधायक राघव चड्ढा के एक आपत्तिजनक ट्वीट पर उनके खिलाफ कोतवाली सेक्टर-20, नोएडा, गौतम बुद्ध नगर में एफआईआर भी दर्ज की गई।

इस बीच योगी ने अधिकारियों के साथ बैठक में कहा कि यूपी में जो भी आ गए हैं, या पहले से रह रहे हैं, उनकी पूरी ज़िम्मेदारी हमारी है। उन्हें भोजन, शुद्ध पानी, दवा देंगे, उनके चलते बाक़ी लोगों के स्वास्थ्य का कोई ख़तरा भी नहीं पैदा होने देंगे। वो अपने राज्य में नहीं जाना चाहते तो भी कोई बात नहीं, सबकी हिफ़ाज़त मेरी ज़िम्मेदारी है। मुख्यमंत्री ने कहा कि जो बाहरी राज्यों के कामगार हैं, उनकी दैनिक ज़रूरतों और आर्थिक ज़रूरतों की अधिकारी चिंता करें ताकि वे अपने अपने राज्यों के लिए पलायन ना करें। जो चुनौती हमारे राज्य पर आई है, पलायन के चलते हम नहीं चाहते कि बाकी राज्यों के सामने ये चुनौती आए। 


 

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