एक माह में पुस्तक का दूसरा संस्करण संस्कृत की लोकप्रियता को दर्शाता है: नाईक

Edited By Ruby,Updated: 08 Jul, 2018 02:22 PM

उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने कहा कि पुस्तक‘चरैवेति! चरैवेति!!‘का एक माह में दूसरा संस्करण संस्कृत की लोकप्रियता को प्रमाणित करता है। नाईक ने लेखक के रूप में अपने विचार व्यक्त करते हुए पुस्तक‘चरैवेति! चरैवेति!!’लिखने पर विस्तृत प्रकाश डाला..

लखनऊः उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने कहा कि पुस्तक‘चरैवेति! चरैवेति!!‘का एक माह में दूसरा संस्करण संस्कृत की लोकप्रियता को प्रमाणित करता है। नाईक ने लेखक के रूप में अपने विचार व्यक्त करते हुए पुस्तक‘चरैवेति! चरैवेति!!’लिखने पर विस्तृत प्रकाश डाला। 

उन्होंने कहा कि‘चरैवेति! चरैवेति!!’ के संस्कृत संस्करण के लोकार्पण में काशी नगरी के संस्कृत प्रेमियों ने बताया कि किसी संस्कृत पुस्तक के विमोचन में इतनी बड़ी संख्या में उपस्थिति देखने को नहीं मिली।राज्यपाल नाईक पुस्तक संस्कृत अनुवाद पर उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान, श्रीमद् आर्यावर्त विद्वत परिषद एवं उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र इलाहाबाद के संयुक्त तत्वावधान में इलाहाबाद में आयोजित गोष्ठी में अपने विचार व्यक्त कर रहे थे।   
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इस अवसर पर प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह, महिला कल्याण एवं पर्यटन मंत्री डॉ रीता बहुगुणा जोशी, शुल्क मंत्री नंदगोपाल नंदी, संस्कृत संस्थान के अध्यक्ष डॉवाचस्पति मिश्र, आर्यावर्त विद्वत परिषद के अध्यक्ष डॉ रामजी मिश्र, उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र के निदेशक इन्द्रजीत ग्रोवर, उत्तर प्रदेश राजर्षि टण्डन मुक्त विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो एम.पी.दुबे, पत्रिका राष्ट्रधर्म के संपादक प्रो  ओमप्रकाश पाण्डेय सहित बड़ी संख्या में विद्वतजन एवं संस्कृति प्रेमी उपस्थित थे।  

नाईक ने कहा कि संस्कृत भाषा हमारी प्राचीन भाषा है जो समृद्ध है और राजनीति से परे है। उनकी पुस्तक के संस्कृत संस्करण का प्राक्कथन डॉ. कर्ण सिंह द्वारा लिखा गया है। राष्ट्रीय पुस्तक न्यास, भारत ने 60 वर्षों में विभिन्न भाषाओं में हजारों पुस्तक प्रकाशित की हैं परन्तु पुस्तक‘चरैवेति! चरैवेति!!’प्रथम संस्कृत पुस्तक हैं जिसका प्रकाशन न्यास द्वारा किया गया है। संस्कृत का साहित्य बहुत सम्पन्न है परन्तु आत्मकथा के रूप में‘चरैवेति! चरैवेति!!’प्रथम पुस्तक है।   

उन्होंने बताया कि संस्कृत संस्करण के प्रकाशन के एक माह में दूसरा संस्करण प्रकाशित हुआ जो संस्कृत की लोकप्रियता को प्रमाणित करता है। उन्होंने बताया कि पुस्तक का अन्य भारतीय भाषाओं सहित विदेशी भाषा में भी अनुवाद हो रहा है।

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