सुलतानपुर: हार के बावजूद हर बूथ पर मेनका से आगे निकले सोनू सिंह, अपना बूथ तक नहीं जिता पाए भाजपाई

Edited By Ajay kumar,Updated: 28 May, 2019 02:10 PM

sultanpur sonu singh beyond maneka on every booth

केंद्रीय मंत्री व सुलतानपुर से भाजपा प्रत्याशी मेनका गांधी भले ही सुलतानपुर से लोकसभा चुनाव जीत गईं हों लेकिन सपा-बसपा गठबंधन प्रत्याशी चंद्रभद्र सिंह ‘सोनू’ से वह हर बूथ पर पीछे रहीं।

सुलतानपुर: केंद्रीय मंत्री व सुलतानपुर से भाजपा प्रत्याशी मेनका गांधी भले ही सुलतानपुर से लोकसभा चुनाव जीत गईं हों लेकिन सपा-बसपा गठबंधन प्रत्याशी चंद्रभद्र सिंह ‘सोनू’ से वह हर बूथ पर पीछे रहीं। उनकी हालात का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जिले के भाजपा दिग्गज नेता मेनका गांधी को अपने बूथ पर ही नहीं जिता पाए। इनके विधायक और पदाधिकारियों का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा। सुल्तानपुर के जिन विधान सभाओं से मेनका को जीत मिली है उन्हीं में लंभुआ विधायक देवमणि द्विवेदी के सूर्यभान पट्टी के 3 बूथों पर गठबंधन प्रत्याशी चंद्रभद्र सिंह सोनू को 745 मत मिले हैं, जबकि मेनका गांधी 600 मत ही हासिल कर सकीं।
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जानकारी मुताबिक पूरे बाघराय भाजपा प्रदेश कार्यसमिति के सदस्य शिवाकांत मिश्र का बूथ है। यहां के बूथ संख्या 75,76 पर गठबंधन प्रत्याशी को कुल 508 मत मिले हैं। वहीं मेनका गांधी 390 वोट ही प्राप्त कर सकी हैं। बूथ संख्या पूरे लेदई काशी प्रांत के उपाध्यक्ष रामचंद्र मिश्र का बूथ है। यहां गठबंधन प्रत्याशी को 229 और मेनका गांधी को 218 मत मिले हैं। पूर्व में इसौली से विधानसभा चुनाव लड़ चुके ओमप्रकाश पांडेय बजरंगी से संबंधित बूथ संख्या 148 भड़सरा में गठबंधन प्रत्याशी को 402 और भाजपा को मात्र 151 मत मिले हैं। कादीपुर विधायक राजेश गौतम के कादीपुर विधानसभा क्षेत्र के पहाड़पुर बस्तीपुर के बूथ संख्या 315, 316, 317 व 318 पर गठबंधन प्रत्याशी को 1191 और भाजपा को 999 मत मिले हैं।

यही हाल सुल्तानपुर विधायक सूर्यभान सिंह से संबंधित बूथों का है। बेलहरी के कुल पांच बूथों पर गठबंधन को 1252 और भाजपा को 1068 वोट प्राप्त हुए हैं। विजय मिश्र कोऑपरेटिव बैंक के चेयरमैन हैं। इनसे संबंधित पुरैना बूथ पर गठबंधन को 329 और भाजपा को 323 मत मिले हैं। यही हाल कई अन्य पदाधिकारियों का है। नतीजों ने यह साबित कर दिया है कि भाजपा के दिग्गज अपना बूथ तक नहीं जिता सके। कांटे की लड़ाई में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर और मेनका गांधी की खुद की मेहनत ही मेनका गांधी की नैया पार हो सकी।
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क्यों हारे सोनू सिंह?
बसपा प्रत्याशी के तौर पर सोनू सिंह बेहद मजबूती के साथ मैदान में डटे रहे। लोगों को उनकी जीत भी सुनिश्चित लग रही थी, बावजूद इसके उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा। सोनू सिंह की हार का एक सबसे बड़ा कारण प्रसपा कैंडिडेट कमला यादव रहीं। जिनको कुल 11484 वोट मिले। यकीनन अगर वह चुनाव नहीं लड़तीं तो उनका सभी वोट सोनू सिंह को ही पड़ता। इसके  अलावा जो बसपा प्रत्याशी के हार का दूसरा कारण है वह कांग्रेस प्रत्याशी संजय सिंह हैं। संजय सिंह को कुल 41681 वोट पड़े, जो कुल पड़े वोट का 4.17 प्रतिशत है। 

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