Edited By Ramkesh,Updated: 05 Mar, 2025 07:15 PM

अपने कारनामों को लेकर सुर्खियों में रहने वाली पुलिस ने एक बार फिर वर्दी को दागदार कर दिया है। ये हम नहीं कह रहे हैं बल्कि एक सुहेलदेव पार्टी के कार्यकर्ता का आरोप है। दरअसल, सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है। जिसमें में एक कार्यकर्ता आरोप लगा...
बलिया (मनीष मिश्रा): अपने कारनामों को लेकर सुर्खियों में रहने वाली पुलिस ने एक बार फिर वर्दी को दागदार कर दिया है। ये हम नहीं कह रहे हैं बल्कि एक सुहेलदेव पार्टी के कार्यकर्ता का आरोप है। दरअसल, सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है। जिसमें में एक कार्यकर्ता आरोप लगा है कि एक दारोगा और सिपाही ने उसके ट्ववायलट रूम में जमकर पीटा और उसको भद्दी भद्दी गालियां दी। उसके बाद उसे अधमरा करके छोड़ दिया। पीड़ित को काफी चोटें आई हैं। उसके बाद उसे थाने से भगा दिया गया। पीड़ित ने बताया कि जब मामला वायरल हो गया तो अब पुलिस सुलह समझौता का दबाव बना रही है।

दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ हो कार्रवाई : अरुण राजभर
जानकारी के मुताबिक मामला बांसडीह थाना कोतवाली कहां है। जहां पर सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के कार्यकर्ता व बांसडीह विधानसभा के प्रभारी उमापति राजभर की पुलिस ने पिटाई की। घटना की जानकारी होने पर सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव अरुण राजभर प्रेसकॉन्फेंस कर आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है।
कोतवाली का घेराव करेगी पार्टी
उन्होंने कहा कि 12 घंटे के अन्दर में दोषी पुलिसकर्मियों और स्टेनो के निलंबन नहीं किया गया तो पार्टी आन्दोलन करने के लिए बाध्य होगी। जिसके लिए 7 तारीख तय की गई है इस दिन बांसडीह थाना कोतवाली पर धरना दिया जायेगा जिसका नेतृत्व खुद मन्त्री ओम राजभर करेंगे।
आरोपियों के खिलाफ एक्शन
हालांकि मामला जब जिले के बड़े अधिकारियों के संज्ञान में आया तो मौके पर आरोपियों को लंबित कर दिया। उसके बाद विभागीय जांच के आदेश दे दिए हैं। गौरतलब है कि जिस दिन ओपी राजभर ने योगी कैबिनेट में मंत्री पद की शपथ ली थी उसके बाद वो अपने इलाके में गए थे। वहां उन्होंने कार्यकर्ताओं को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि जब भी थाने में जाओ तो सफेद नहीं पीला गमछा लगाकर जाना। इससे दारोगा जी को तुम्हारी शक्ल में ओमप्रकाश राजभर दिखेगा। अब सवाल यह है कि क्या पीला गमछा की वजह से पिटाई की गई है या फिर किसी वजह से पिटाई की गई है। फिलहाल कानून को हाथ में लेने का कोई भी अधिकार किसी को नहीं है कार्यकर्ता ने कोई भी गलती की थी तो उसके खिलाफ कार्रवाई करते लेकिन पिटाई क्यों की?