Edited By Ramkesh,Updated: 28 Mar, 2021 06:55 PM
समाजवादी पार्टी (सपा) अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि सत्ता के नशे में चूर भाजपा कार्यकर्ता कानून व्यवस्था के लिए खतरा बन गए हैं। उन्होंने कहा कि सत्ता संरक्षित अपराधियों को खुली छूट मिली हुई है। मुख्यमंत्री के बहुचर्चित बयान ‘ठोक दो‘ के अनुपालन में...
लखनऊ: समाजवादी पार्टी (सपा) अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि सत्ता के नशे में चूर भाजपा कार्यकर्ता कानून व्यवस्था के लिए खतरा बन गए हैं। उन्होंने कहा कि सत्ता संरक्षित अपराधियों को खुली छूट मिली हुई है। मुख्यमंत्री के बहुचर्चित बयान ‘ठोक दो‘ के अनुपालन में कभी पुलिस तो कभी जनता एक दूसरे को ठोक रही है। इस अव्यवस्था ने अराजकता का माहौल बना दिया है और लोगों की जिंदगी असुरक्षित हो गई है। उन्होंने कहा कि कन्नौज में होली के पावन पर्व पर रूपए मांगने पर भाजपा विधायक के बेटे ने मजदूर को बंदूक की बट से पीटकर अधमरा कर दिया। गरीब आदमी अपनी आवाज उठाए और अपना हक मांगे तो भाजपा नेता को यह नागवार गुजरता है। भाजपाई सत्तामद में अंधे हो गए हैं। यादव ने कहा कि मथुरा में आरएसएस और भाजपा कार्यकर्ताओं ने पुलिस वालों को पीट दिया। आए दिन भाजपाई खाकी की शान तार-तार करते रहते हैं। कई अन्य स्थानों पर भी ऐसी घटनाएं घटी हैं जिसमें अंतत: पुलिस वालों को ही दण्डित होना पड़ा।
भाजपा की सरकार आने के बाद सन् 2017 से पुलिस कर्मियों की हत्या का दौर जारी है। आगरा में एक एसआई की मौत अभी भूली नहीं है। पुलिस हिरासत में मौतों के मामले में उत्तर प्रदेश नम्बर एक पर है। निर्दोषों के फर्जी एनकाउण्टर की कई घटनाएं घट चुकी हैं। मानवाधिकार आयोग बारम्बार राज्य सरकार को नोटिसें भेजता रहता है। पर सरकार उन पर गूंगी बहरी बन जाती है। अभी आजमगढ़ निवासी जियाउद्दीन की पुलिस हिरासत में मौत हुई है। कुछ मामलों में तो पुलिस कर्मियों को इस सम्बंध में सजा भी हो चुकी है।
उन्होंने कहा कि आज जो हालात हैं उनमें प्रदेश में किसी की भी इज्जत या जान माल सुरक्षित नहीं रह गया है। आए दिन हत्या, लूट, अपहरण की घटनाएं होती है। महिलाओं और बच्चियों के साथ दुष्कर्म में कमी नहीं हो रही है। कितनी ही बेटियों ने छेड़छाड़ और पुलिस की लापरवाही से तंग आकर आत्महत्या तक कर ली है। बंदिशों के बावजूद तेजाब के हमले हो रहे हैं। भाजपा राज में किसी गरीब, किसान, मजदूर की सुनवाई नहीं होती है। भाजपा विज्ञापनों में अपनी छवि दर्शाकर जनता को वास्तविक दशा के बारे में भ्रमित नहीं कर सकती हैं।