Edited By Deepika Rajput,Updated: 12 Sep, 2018 09:39 AM
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पुलिस से कहा कि वह उच्चतम न्यायालय के 2014 के एक आदेश द्वारा समर्थित सीआरपीसी के प्रावधानों का पालन किए बगैर एक दलित महिला और उसकी बेटी पर हमले के आरोपी 4 लोगों को गिरफ्तार नहीं कर सकती।
लखनऊः इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पुलिस से कहा कि वह उच्चतम न्यायालय के 2014 के एक आदेश द्वारा समर्थित सीआरपीसी के प्रावधानों का पालन किए बगैर एक दलित महिला और उसकी बेटी पर हमले के आरोपी 4 लोगों को गिरफ्तार नहीं कर सकती। यह मामला आईपीसी के साथ-साथ अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (उत्पीड़न निरोधक) कानून के तहत दर्ज हुआ था, लेकिन न्यायालय ने पुलिस को तत्काल ‘नियमित’ गिरफ्तारी करने से रोक दिया।
हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ में न्यायमूर्ति अजय लांबा और न्यायमूर्ति संजय हरकौली की खंडपीठ ने यह आदेश पारित किया। हाईकोर्ट का आदेश ऐसे समय पर आया है जब अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (उत्पीड़न निरोधक) कानून का दुरूपयोग रोकने के लिए उच्चतम न्यायालय की ओर से पारित आदेश को पलटने की मंशा से हाल में संसद ने इस कानून में संशोधन के लिए एक विधेयक पारित किया है।