राहुल की ताजपोशी, यूपी में मिल सकता हैं इन्हें प्रमोशन

Edited By Punjab Kesari,Updated: 04 Dec, 2017 05:05 PM

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कांग्रेस अध्यक्ष पद पर सोमवार को राहुल गांधी की ताजपोशी हो गई है। जिसके बाद पार्टी में तरह तरह की चर्चाओं ने जोर पकड़ लिया है। ताजा चर्चा यूपी संगठन में बदलाव को लेकर है। यूपी में कांग्रेस संगठन का मजबूत बनाने के लिए कई जरूरी बदलाव होना तय है। सबसे...

लखनऊ: सोमवार को राहुल गांधी के कांग्रेस अध्यक्ष पर ताजपोशी की शुरूआत हो गई है। जिसके बाद पार्टी में तरह तरह की चर्चाओं ने जोर पकड़ लिया है। ताजा चर्चा यूपी संगठन में बदलाव को लेकर है। यूपी में कांग्रेस संगठन का मजबूत बनाने के लिए कई जरूरी बदलाव होना तय है। सबसे अहम बदलाव यूथ कांग्रेस में होगा साथ ही एनएसयूआई को भी मजबूत बनाने की रणनीति तय होगी। राहुल गांधी के पार्टी अध्यक्ष बनने के बाद सबसे पहले यूपी में पार्टी को नई धार देने की तैयारी होगी। सूत्रों की माने तो राहुल गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस पार्टी में युवाओं के साथ वरिष्ठों के अनुभव का तालमेल बनाकर राष्ट्रीय राजनीति में अपनी पहचान बनाने पर जोर दिया जाएगा। कुल मिलाकर यह खाका 2018 में होने वाले राज्यों के विधानसभा चुनावों के साथ-साथ 2019 के आम चुनाव को केंद्र में रखकर खींचा जा रहा है। सूत्र बताते हैं कि गुजरात में चुनाव की व्यस्तता के बावजूद राहुल गांधी प्रतिदिन पार्टी के नेताओं से मिलने, चर्चा करने तथा भविष्य की रणनीति पर विचार के लिए पूरा समय दे रहे हैं।

यूपी को मजबूत बनान मुख्य लक्ष्य
यह कहना गलत नहीं होगा कि सत्ता के गलियारे में सबसे अधिक पैठ यूपी की होती है। इस तथ्य को सभी पार्टी के आलाकमान गंभीरता से लेते भी हैं। शायद यही कारण है कि यूपी में हुए विधानसभा व निकाय चुनाव में कांग्रेस का जिस प्रकार का प्रदर्शन रहा उससे सोनिया व राहुल की नींद उड़ चुकी है। यही कारण है कि राहुल के अध्यक्ष बनने के बाद संगठन को मजबूत बनाने पर विशेष चर्चा शुरू हो गई है। इसके लिए युवाओं को जोडऩे की बात कही जा रही है। यह भी तय माना जा रहा है कि राहुल गांधी के करीब युवा दोस्त इस मुहिम का मुख्य हिस्सा बनेंगे।  सचिन पायलट, ज्योतिरादित्य सिंधिया, जतिन प्रसाद अहम रोल में होंगे। खुद राहुल गांधी ने भी यूपी में पार्टी संगठन में बदलाव का संकेत दिया है।

युवा कांग्रेसियों को मिलेगी प्रमोशन
यूपी में कई युवा कांग्रेसियों को मुख्य धारा लाकर संगठन को मजबूत करने की जिम्मेदारी दिए जाने पर विचार किया जा सकता है। वर्तमान में प्रमोद तिवारी और राज बब्बर के अलावा 
शायद की कोई कांग्रेसी नेता हो जो सीधा जनता से जुड़ा हो। हालांकि यूपी कांग्रेस संगठन में कई एमएलसी व विधायक और सांसद हैं लेकिन इनके पास ना तो कोई जिम्मेदारी है और ना कोई अधिकार। जिसके कारण संगठन को मजबूत बनाने में इनकी उपस्थिति ना के बराबर रहती है। अब राहुल की ताजपोशी के बाद इनमें से कुछ की जिम्मेदारी व अधिकार में इजाफा किए जाने की चर्चा शुरू हो गई है।
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राज बब्बर पर गिर सकती है गाज
विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की खराब प्रदर्शन की गाज राज बब्बर पर गिर सकती है। विधानसभा चुनाव के बाद ही प्रदेश अध्यक्ष बदलने के लिए सुगबुगाहट शुरू हो गई थी। राहुल गांधी की ताजपोशी के बाद इस चर्चाऔर बल मिल गया है। राहुल के करीबी माने जाने वाले जितिन प्रसाद का नाम यूपी के नए प्रदेश अध्यक्ष के रूप में काफी जोरदार तरीके से लिया जा रहा है। हालांकि जितिन प्रसाद के भाई व भाभी के बीजेपी में जाने के बाद यह कयास शुरू हो गया था कि जितिन भी पाला बदल देंगे लेकिन खुद जितिन इन बातों को खारिज कर इस चर्चा पर विराम लगा दिया।

प्रमोद तिवारी की बेटी का प्रमोशन
पुराने कांग्रेसी नेता प्रमोद तिवारी की विधायक बेटी अराधना मिश्रा को संगठन की नई टीम में अहम रोल मिल सकता है। चर्चा तो यह भी हो रही है कि उन्हें आइटी सेल की जिम्मेदारी दी जाएगी। फिलहाल इस सेल कीजिम्मेदारी किसी के पास नहीं है। अराधना मिश्रा रामपुर खास से कांग्रेसी विधायक हैं।

नदीम असरफ जायसी की वापसी
कभी प्रदेश यूथ कांग्रेस का अध्यक्ष रहे नदीप असरफ का भी कद बढ़ सकता है। हालांकि वो बसपा में थे और वहां पर उन्हें राज्यमंत्री का दर्जा प्राप्त था। प्रियंका गांधी के कहने पर उन्हें दोबारा कांग्रेस की सदस्यता दी गई।

गांधी परिवार के करीबी दीपक सिंह 
गांधी परिवार के करीबी ओर कांग्र्रेस के एमएलसी दीपक सिंह का नाम भी संगठन में पूरे जोर शोर से उठाया जा रहा है। दीपक अमेठी के हैं और राहुल गांधी के हर अमेठी दौरे पर उनके साथ होते हैं। दीपक राहुल के अलावा प्रियंका गांधी के भी खास माने जाते हैं।

विधायक अदिति सिंह पर हैं नजरें
यूपी के विधानसभा चुनाव में जिस प्रकार बीजेपी की लहर थी उसमें करीब एक लाख वोट से जीत हासिल करना अपने आप में काबिलियत की मिशाल पेश करता है। यूएस से पढ़ाई करने के बाद रायबरेली को अपनी राजनैतिक कर्मभूमि बनाकर बीजेपी से टक्कर लेने वाली अदिति सिंह ने रायबरेली सदर सीट से 90 हजार वोट से जीत दर्ज की थी। अदिति के पिता अखिलेश सिंह भी रायबरेली से पांच बार विधायक रहे चुके हैं। अब राहुल गांधी की ताजपोशी के बाद संगठन में अदिति का कद बढऩा तय माना जा रहा है। 

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