Edited By Mamta Yadav,Updated: 20 May, 2022 04:51 PM
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने शुक्रवार को कहा कि सदन में हंगामे और नारेबाजी के कारण सदनों की गरिमा गिरती जा रही है, हमें विधानमंडलों की मर्याद तथा गरिमा बनाए रखने के लिए चर्चा और संवाद करना चाहिए।
लखनऊ: लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने शुक्रवार को कहा कि सदन में हंगामे और नारेबाजी के कारण सदनों की गरिमा गिरती जा रही है, हमें विधानमंडलों की मर्याद तथा गरिमा बनाए रखने के लिए चर्चा और संवाद करना चाहिए।
लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि दुनिया के अंदर शासन चलाने का सर्वश्रेष्ठ तरीका संसदीय लोकतंत्र की प्रणाली है। उनका कहना है कानून बनाते वक्त जनता से संवाद किया जाए। जनता की राय ली जाए। ‘‘इस समय हमारी बड़ी जिम्मेदारी हो जाती है कि हम कैसे संसदीय लोकतंत्र के माध्यम से अपने दायित्वों को निभाते हुए जनता की अपेक्षा, आकांक्षा, विश्वास और भरोसे को कायम रखें।'' उत्तर प्रदेश विधानमंडल का बजट सत्र 23 मई से ‘ई-विधान व्यवस्था' से शुरू होगा और विधानसभा की सारी कार्यवाही डिजिटल तरीके से संपन्न होगी। लोकसभा अध्यक्ष ने राज्य विधानसभा के नवनिर्वाचत विधायकों के प्रबोधन कार्यक्रम व ई-विधान व्यवस्था की शुरुआत की।
उन्होंने कहा, “जिस तरीके से सदन में हंगामा, नारेबाजी आदि होती है उससे सदनों की गरिमा गिरती जा रही है। सदन की गरिमा बनाने की जिम्मेदारी हमारी हैं...क्योंकि प्रतिनिधियों के आचरण और व्यवहार से सदन की गरिमा होती है।'' उन्होंने कहा, ‘‘हमारा व्यवहार-आचरण ऐसा होना चाहिए कि हम तर्कों के साथ बात करें, जनता की समस्या को ठीक से रखें।” उन्होंने कहा, ‘‘बहुत से राजनेता इन्हीं विधानसभाओं से निकले हैं जिन्होंने तर्कों के आधार पर विधानसभा और लोकसभा में अपनी बात रखी हैं। आज विधानमंडल और लोकसभा देश के सर्वश्रेष्ठ नेता बनाने का एक माध्यम और मंच हैं। हमें आशा है कि आप इसी दिशा में काम करेंगे।”
लोकसभा अध्यक्ष ने कहा, ‘‘हम आजादी के 75वें वर्ष में लोकतंत्र की इस यात्रा से गुजर रहे हैं। जनता का विश्वास हमारे संसदीय लोकतंत्र के लिए और बढ़ा है।'' बिरला ने कहा कि संसद और विधानमंडल का मूल काम कानून बनाने का है , ‘‘इसलिए आपसे आग्रह है कि कानून बनाते समय हमें व्यापक चर्चा संवाद करना चाहिए।''
ओम बिरला ने कहा, ‘‘भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है, जब आजादी प्राप्त हुई तो हमारे सामने एक चुनौती थी कि हम शासन चलाने की कौन सी पद्धति अपनायें ? लेकिन हमारे मनीषियों ने उत्तर प्रदेश में विशेष रूप से जवाहर लाल नेहरू, बाबा साहेब आंबेडकर सहित तमाम नेताओं ने बड़ी सूझबूझ के साथ संसदीय प्रणाली अपनायी।'' इससे पहले विधायकों के प्रबोधन कार्यक्रम को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना और सदन में विपक्ष के नेता अखिलेश यादव ने भी संबोधित किया।