पाकिस्तान, नेपाल समेत पूरी दुनिया में है नाथ संप्रदाय का विस्तार: CM योगी

Edited By Moulshree Tripathi,Updated: 21 Mar, 2021 08:52 AM

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उत्तर प्रदेश के मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ ने शनिवार को नाथ पंथ की महिमा का बखान करते हुए कहा कि पूरी दुनिया में नाथ संप्रदाय का विस्तार है और इस संप्रदाय के साहित्य

गोरखपुर:  उत्तर प्रदेश के मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ ने शनिवार को नाथ पंथ की महिमा का बखान करते हुए कहा कि पूरी दुनिया में नाथ संप्रदाय का विस्तार है और इस संप्रदाय के साहित्य को देश और दुनिया को संकलित करने और आत्मसात करने की आवश्यकता है। दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय में 'नाथ पंथ के वैश्विक योगदान’ पर आयोजित तीन दिवसीय संगोष्ठी के उद्घाटन के बाद मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ ने कहा कि पूरी दुनिया में नाथ पंथ का विस्तार है और पाकिस्‍तान, अफगानिस्‍तान, नेपाल, श्रीलंका और भारत के विभिन्‍न हिस्‍सों में भी नाथ पंथ के योगियों ने अपनी साधना स्थली बनाया है।

उल्लेखनीय है कि मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ गोरखपुर के गोरक्षपीठ के महंत भी हैं और यह पीठ नाथ संप्रदाय का महत्वपूर्ण केंद्र है। इतिहास के अनुसार नाथ संप्रदाय के संस्थापक गुरु गोरक्षनाथ माने जाते हैं। मुख्यमंत्री ने वैश्विक मंच पर सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत के प्रसार में शैक्षिक संस्थानों और विश्वविद्यालयों की भूमिका पर जोर दिया। आदित्यनाथ ने कहा, "नाथ संप्रदाय के हठ योग ने काया शुद्धि (शारीरिक कल्याण) और मनुष्य की सद्बुद्धि (मानसिक और आध्यात्मिक कल्याण) पर जोर दिया।''

वैश्विक स्तर पर योग को बढ़ावा देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रशंसा करते हुए उन्होंने कहा कि कोई भी व्यक्ति अपनी परंपरा और संस्कृति को विस्मृत करके अपने लक्ष्य को नहीं पा सकता, ऐसा व्यक्ति त्रिशंकु बनकर रह जाता है और त्रिशंकु का कोई लक्ष्य नहीं होता। योगी ने कहा कि नेपाल की राजधानी - काठमांडू गुरु गोरक्षनाथ तपस्थली के नाम पर आधारित है जिसका अर्थ है लकड़ी (काठ) का घर और नाथ संप्रदाय के मंदिर बांग्लादेश के ढाका और पाकिस्तान के पेशावर में हैं।

सीएम योगी ने कहा कि नाथ संप्रदाय वास्तविक अनुभवों पर आधारित है और इस संप्रदाय में कोई पाखंड नहीं है। नाथ पंथ की महिमा पर चर्चा को आगे बढ़ाते हुए मुख्यमंत्री ने कहा नाथ पंथ की परंपरा आदिनाथ भगवान शिव से शुरू होकर नवनाथ और 84 सिद्धों के साथ आगे बढ़ती है। यही वजह है कि पूरी दुनिया में इस संप्रदाय के मठ या मंदिर मिल जाएंगे।

 

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