दलों का नहीं, दिलों का है यह गठबंधन: अखिलेश

Edited By Tamanna Bhardwaj,Updated: 21 Apr, 2019 05:30 PM

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समाजवादी पार्टी (सपा) अध्यक्ष अखिलेश यादव ने रविवार को दावा किया कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विजयरथ को रोकने के लिए उत्तर प्रदेश में दलों का नहीं बल्कि दिलो का गठबंधन हुआ है। सैफई स्थित आवास पर यादव ने कहा ‘‘ नेता जी (मुलायम), मायावती जी एक साथ...

इटावाः समाजवादी पार्टी (सपा) अध्यक्ष अखिलेश यादव ने रविवार को दावा किया कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विजयरथ को रोकने के लिए उत्तर प्रदेश में दलों का नहीं बल्कि दिलो का गठबंधन हुआ है। सैफई स्थित आवास पर यादव ने कहा ‘‘ नेता जी (मुलायम), मायावती जी एक साथ आए। यह बड़ा संदेश है और बड़ा संदेश इसलिए है कि सपा बसपा और राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) का गठबंधन हुआ है, यह कहीं ना कहीं आम लोगों का गठबंधन है। जो जनता गरीब है, गांव के रहने वाले लोग है। जिन्हें आजादी के इतने वर्षों बाद हक और सम्मान मिल जाना चाहिए था नहीं मिला।''

उन्होंने कहा कि आज देश बहुत नाजुक दौर से गुजर रहा है। संविधान पर सीधी चोट पहुंचाई जा रही है। संविधान से मिले हुए अधिकारों को छीना जा रहा है। आज अगर हम देखें तो भाजपा का पूरा प्रचार झूठ पर आधारित है। पुराने वादे याद नहीं कर रहे। जनता उनसे पूछना चाहती है कि 2014 में जो वादे किए थे वो कितने पूरे हुए अच्छे दिन का नारा दिया।''

यादव ने कहा कि पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा ने हर साल दो करोड़ नौकरी देने, किसानों की आय बढ़ाने और उनको लाभकारी मूल्य दिलाने का भी भरोसा दिया था। वो सब तो हुआ नहीं और भाजपाई दावा करते हैं कि उन्होंने गैस सिलेंडर ओर चूल्हे बांटे है। यह स्वाभाविक है कि सरकार की योजना थी और सरकार के पास में सिलेंडर अतिरिक्त पड़े हुए थे क्योंकि सरकार अपने कारपोरेशन को घाटे में नहीं जाने देना चाहती थी। उस कारपोरेशन को बचाने के लिहाज से गरीबों के लिए योजना बनाई। सिलेंडर के दाम बढ़ने से आज एक भी एक भी गरीब उन सिलेंडरों को दोबारा नहीं भरवा पा रहा है।

उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री दावा करते हैं कि स्वच्छ भारत के तहत करीब 9 करोड़ शौचालय बनवाये लेकिन एक भी शौचालय में पानी नही है। यह कैसा नीति आयोग का फैसला है यह कैसी योजना है। वास्तविकता यह है कि भाजपा मुश्किल में है। पहले और दूसरे चरण में अगर खाता भी खुलता भी है तो सात चरण में चुनाव है। भाजपा का दहाई अंक में पहुंचना भी मुश्किल है। गठबंधन के साथ-साथ जनता भी नाराज है। भाजपा नेताओं के भाषण से लगता है कि वह अपने आप में चौकीदार बने जा रहे हैं तो मुख्यमंत्री ठोकीदार बने जा रहे हैं। कहीं ऐसा होता होगा कि जाति देख कर के गोली चलाई जाती होगी।



 

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