सोनभद्र मामले में बड़ा खुलासा, जांच रिपोर्ट में बताया गया जमीन पर आदिवासियों का कब्जा

Edited By Tamanna Bhardwaj,Updated: 22 Jul, 2019 06:06 PM

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उत्तर प्रदेश के सोनभद्र नरसंहार मामले में विवादित जमीन की जांच रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि विवादित जमीन पर आदिवासियों का कब्जा है। बताया जा रहा है कि जमीन के आवंटन में बड़ी हेरा फेरी हुई है। दो आईएएस भानु प्रताप शर्मा और प्रभात कुमार मिश्रा ने ग...

सोनभद्रः उत्तर प्रदेश के सोनभद्र नरसंहार मामले में विवादित जमीन की जांच रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि विवादित जमीन पर आदिवासियों का कब्जा है। बताया जा रहा है कि जमीन के आवंटन में बड़ी हेरा फेरी हुई है। दो आईएएस भानु प्रताप शर्मा और प्रभात कुमार मिश्रा ने गलत तरीके से अपनी अपनी पत्नियों के नाम सोसाइटी की जमीन कराई है।

बता दें कि जमीन का आवंटन पहले सोसाइटी के नाम कराया गया था। 2018 को खुद तहसिल दिवस में जिलाधिकारी अमित कुमार सिंह की रिपोर्ट बताया गया कि इस जमीन पर आदिवासियों का कब्जा पूर्वजों के जमाने से चला आ रहा है। विवाद को लेकर ये निर्देशित भी किया गया था कि इसको लेकर कोर्ट में अपना पक्ष रख सकते है। जिसके चलते आदिवासियों ने सिविल कोर्ट में मामला रखा जो अभी विचाराधीन है।
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आदिवासियों के वकील नित्यानंद द्विवेदी ने बताया कि किस तरह से आईएएस प्रभात कुमार मिश्रा ने 1955 में वन विभाग की जमीन को ग्राम समाज बनाकर आदर्श कोआपरेटिव सोसाइटी को ट्रांसफर करवाई। फिर इसी सोसाइटी ने सोसाइटी की 200 बीघा जमीन उनकी पत्नी आशा मिश्रा और बेटी विनीता शर्मा के नाम गलत तरीके से ट्रांसफर करवा दी। बाद में इन दोनों ने इस जमीन को ग्राम प्रधाम यज्ञदत्त को बेच दिया जो इस नरसंहार का दोषी है। गौरतलब है कि उक्त आदर्श सोसाइटी में आज के जोत-कोड़ करने वालों के पूर्वज भी शामिल थे जिन्हें बाद में उन्हें सोसाइटी से बेदखल कर दिया गया।

वकील का कहना है 2017 में यह मामला मेरे पास आया। जब मैंने मामले की छानबीन की तो यह बात सामने आई वन विभाग की भूमि को ग्राम समाज बनाकर गलत तरीके से आदर्श कोऑपरेटिव सोसाइटी के नाम ट्रांसफर कर दिया गया। तत्कालीन आईएएस प्रभात कुमार मिश्रा के प्रभाव में आकर अवैधानिक तरीके से यह जमीन ट्रांसफर की गई थी जो कि सोसायटी के अध्यक्ष भानु प्रसाद के दामाद थे।

1989 प्रभात कुमार मिश्रा ने गलत तरीके से अपनी पत्नी आशा मिश्रा और बेटी के नाम या जमीन ट्रांसफर करवा लिया जबकि सोसायटी की जमीन व्यक्तियों के नाम से ट्रांसफर नहीं की जा सकती। बाद में जमीन एआरओ (चकबन्दी अधिकारी) ने बिना सुनवाई के ही 2017 में आशा मिश्रा और विनीता शर्मा से यज्ञदत्त ग्राम प्रधान को ट्रांसफर कर दिया।

आदिवासियों के वकील ने बताया कि जज जूनियर डिविजन के यहां आदिवासियों का मुकदमा भी चल रहा है और तहसील दिवस में भी उन्होंने एप्लीकेशन डाली है। सर्वे की रिपोर्ट में भी आदिवासियों कब्जा पाया गया है। सक्षम न्यायालय में जाने का भी निर्देश भी था। लेकिन चकबंदी अधिकारी यारों ने बिना सुनवाई के ही जमीन एकतरफा तौर पर प्रधान को दे दी। कमिश्नर के अपील के आदि आदिवासी जा रहे थे, इसी बीच यह घटना घटित हो गई। आईएस प्रभात कुमार ने गलत तरीके से जमीन सोसायटी को ट्रांसफर की। उसके बाद अपने संबंधियों के नाम से ट्रांसफर कराई। उसके बाद उनके संबंधियों ने जो बैनामा प्रधान को किया वह भी पावर ऑफ अटार्नी जो गलत तरीके से किया गया है।

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