7 हजार करोड़ रुपए में तैयार होगी “नई अयोध्या” की परियोजना

Edited By Ajay kumar,Updated: 28 Nov, 2019 05:32 PM

new ayodhya  project to be ready in 7 thousand crores rupees

राम मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला देश के प्रत्येक व्यक्ति को स्वीकार हुआ। ऐसे में अब राम या अयोध्या से संबंधित कोई भी बात हो इसका एक अलग ही रंग देखने को मिल रहा है। ऐसे में दो ...

लखनऊः राम मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला देश के प्रत्येक व्यक्ति को स्वीकार हुआ। ऐसे में अब राम या अयोध्या से संबंधित कोई भी बात हो इसका एक अलग ही रंग देखने को मिल रहा है। ऐसे में दो दिवसीय प्रवास में वाराणसी आए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अवधपुरी में 'इक्ष्वाकु नगरी' के नाम से नई अयोध्या बसाने का प्रस्ताव तैयार किया है। इसका विस्तार सरयू की सीमाओं के अनुसार होगा। इस विषय पर मुख्यमंत्री ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और विश्व हिन्दू परिषद के शीर्ष पदाधिकारियों से परियोजना के मुख्य बिंदुओं पर चर्चा की।

बता दें कि नई अयोध्या का केंद्र बिंदु राम जन्म भूमि पर बनने वाला मंदिर होगा। इसका विस्तार सरयू की सीमाओं के अनुसार होगा। प्रवास के पहले दिन मंगलवार को संघ के सह कार्यवाहक भैयाजी जोशी, सह सर कार्यवाहक डॉ. कृष्णगोपाल और विहिप के अन्तरराष्ट्रीय उपाध्यक्ष चंपत राय और संघ के क्षेत्र प्रचारक अनिल कुमार के बीच लंबी चर्चा हु़ई। इस दौरान प्रदेश के अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश अवस्थी भी मौजूद रहे।

परियोजना के पहले चरण में 7 हजार करोड़ रुपए होंगे खर्च
नई अयोध्या के परियोजना में कुल 7 हजार करोड़ रुपए खर्च होंगे। वहीं इसका विस्तार सरयू की सीमाओं के अनुसार होगा। वहीं राम जन्मभूमि मंदिर निर्माण के शिलान्यास के साथ ही नई अयोध्या की इस परियोजना की भी घोषणा हो सकती है।

सूत्रों के अनुसार नई अयोध्या में रामायणकालीन सांस्कृतिक, राजनीतिक और सामाजिक इतिहास को विभिन्न माध्यमों से नए संदर्भों में पेश किया जाएगा। इसके लिए शोध केन्द्र, ऑडिटोरियम, गुरुकुल आदि बनाए जाएंगे। मान्यता है कि सरयू का पथ प्रवाह प्राचीन अयोध्या का भौगोलिक निधार्रण करता है। इसे ही आधार मानकर नई अयोध्या के लिए पड़ोसी जिलों अंबेडकर नगर और गोंडा की भी भूमि अधिग्रहित करने का प्रस्ताव है।

भैयाजी जोशी और डॉ. कृष्ण गोपाल को 27 नवंबर को वाराणसी से बिहार प्रवास के लिए निकलना था। मुख्यमंत्री का भी इसी दिन यहां प्रवास का कार्यक्रम था। इसलिए नई अयोध्या की परियोजना पर वाराणसी में ही चर्चा करना तय हुआ। बुधवार को संघ के शीर्ष पदाधिकारियों और काशी विद्वत परिषद की अलग बैठक में भी राम मंदिर पर चर्चा हुई। इसमें मंदिर प्रतिष्ठापना पद्धति और पूजन विधि को शास्त्र सम्मत बनाने पर बात हुई। बैठक में राम मंदिर के लिए प्रस्तावित ट्रस्ट के स्वरूप पर भी विमर्श हुआ।

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