संजय दत्त के गोद लेने से चमकेगी ननिहाल चिलबिला की तस्वीर, लोगों में दौड़ी खुशी की लहर

Edited By Ruby,Updated: 12 Jun, 2018 05:33 PM

बालीवुड अभिनेता संजय दत्त के अपने ननिहाल के गांव चिलबिला को गोद लेने की इच्छा जताने से स्थानीय ग्रामीण भाव-विभोर हो गए। संजय भले ही अपनी नानी के गांव उत्तर प्रदेश में इलाहाबाद की मेजा तहसील के उरवा ब्लाक के चिलबिला कभी न आए हों लेकिन, उन्हें अपनी...

इलाहाबादः बालीवुड अभिनेता संजय दत्त के अपने ननिहाल के गांव चिलबिला को गोद लेने की इच्छा जताने से स्थानीय ग्रामीण भाव-विभोर हो गए। संजय भले ही अपनी नानी के गांव उत्तर प्रदेश में इलाहाबाद की मेजा तहसील के उरवा ब्लाक के चिलबिला कभी न आए हों लेकिन, उन्हें अपनी नानी जद्दन बाई का गांव याद है। उन्होंने शनिवार को लखनऊ में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिलकर चिलबिला को गोद लेने की इच्छा जताई तो गांव वाले निहाल हो गए।

लोगों की यादें फिर से हुई ताजा
गांव में मस्तान साहब की मजार पर जद्दन बाई का जाना, संजय दत्त के पिता सुनील दत्त के प्रयास से गांव में बना अस्पताल, मुहर्रम पर संजय दत्त की मां नरगिस दत्त का गांव आते रहना रविवार को चिलबिला में हर जुबां पर चर्चा में आ गया।  मुख्यालय से 42 किलोमीटर दूर चिलबिला से जद्दनबाई का गहरा नाता रहा है। ब्रितानी हुकूमत के दौरान चिलबिला गांव नृत्य कला एवं मनोरंजन का बड़ा केंद्र था। यहां रहने वाले सारंगी मियां नृत्य कला के एक बड़े प्रशिक्षक थे। 

नरगिस फिल्म जगत की मशहूर अभिनेत्री रहीं
जद्दनबाई के बचपन का नाम दलीपा था, वह बचपन में अपने परिवार को छोड़ नृत्यकला सीखने सारंगी मियां के पास आ गई थीं। बाद में सारंगी मियां ने उन्हें गोद ले लिया था। आगे चलकर वह बड़ी नृत्यांगना बनीं और मुंबई पहुंच गईं। उनकी बेटी नरगिस फिल्म जगत की मशहूर अभिनेत्री रहीं। अभिनेता सुनील दत्त से विवाह होने के बाद भी नरगिस कई साल तक मुहर्रम पर चिलबिला आती थीं और अपने मकान में रहती थीं।  

संजय दत्त के गांव गोद लेने से होगा विकास
गांव के पूर्व प्रधान एवं संजय दत्त के फुफेरे भाई इसरार अली उर्फ गुड्डू भाई ने टेलीफोन पर हुई बातचीत में बताया कि जब गांव के लोगों को पता चला कि संजय दत्त लखनऊ में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिलकर चिलबिला गांव को गोद लेंगे तो गांव के लोग आह्लादित हो उठे। उन्होनें ने भी यह महसूस किया कि चिलबिला का चतुष्कोणीय विकास होगा। उन्होंने बताया कि गांव के बुजुर्गों में भी खुशी का माहौल है। 

बिना कहे ही संजय समझ लेते उनकी दिक्कतें
इसरार ने बताया कि वर्ष 2009 में विधानसभा चुनाव के दौरान नगर पंचायत सिरसा के लाला लक्ष्मीनारायण डिग्र्री कालेज में समाजवादी पार्टी (सपा) प्रत्याशी कुंर रेवती रमण का चुनाव प्रचार करने संजू बाबा आए थे। संजय ने मंच पर लाखों की भीड के सामने उन्हें गले लगायाा। जब वह जेल में थे तो गांव वालों ने उनकी रिहाई के लिए गांव की मजार पर चादर चढ़ाया था। गांव वाले चाहते हैं कि संजू बाबा एक बार आकर गांव के हालात देख लेते तो उनकी दिक्कतें बिना कहे ही समझ लेते।  

लोगों में दौड़ी खुशी की लहर 
उन्होंने बताया कि पहले चिलबिला के नाम से मेजा जाना जाता था, लेकिन दुर्दिन है कि मेजा में अब चिलबिला का नाम बुझ गया है। अपने जमाने में चिलबिला में राजा-महराजा, रईस आते जाते थे। जहां की सारी खुशियां बरसती थीं। जब से चिलबिला से गायन-वादन, नृत्य समाप्त हुआ लोगों को परिवार का गुजर बसर करने के लिए अन्यत्र निकलना पड़ा।  गुड्डू भाई ने बताया कि जिस हवेली में जद्दनबाई रहती थी, गांव के लोग उसे नरगिस की पक्की कहते है। वह हवेली आज भी गांव वालों की जुबां पर नरगिस की पक्की जाना जाता है। संजय के गोद लेने के बाद एक बार फिर नरगिस की पक्की की चारों ओर चर्चा शुरू हो गई है। 

गुलजार दिनों की याद कर आंसू बहा रही हवेली 
आज वह हवेली खंडहर के रूप में चीख चीख कर अपने गुलजार दिनों की याद कर आंसू बहा रही है। उन्होंने बताया कि गांव वालों की तरह खंडहर को भी यह आस हो चली है,नाती के गोद लेने के बाद शायद उसके बुरे दिन बदल जायेंगे। खंड़हरनुमा हवेली की मरम्मत कराने में आज कम से कम 15 से 20 लाख रूपए खर्च होंगे। 

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