Edited By Deepika Rajput,Updated: 16 Sep, 2018 12:03 PM
निवेश के जरिए उत्तर प्रदेश के आर्थिक विकास को पंख लगाने की कवायद मे जुटी योगी सरकार की राह में कानपुर लखनऊ राष्ट्रीय राजमार्ग रोड़े अटका सकता है। उत्तर प्रदेश के 2 प्रमुख महानगरों के बीच करीब 85 किमी है, लेकिन बेतरतीब यातायात, गड्डाें की भरमार और...
लखनऊः निवेश के जरिए उत्तर प्रदेश के आर्थिक विकास को पंख लगाने की कवायद मे जुटी योगी सरकार की राह में कानपुर लखनऊ राष्ट्रीय राजमार्ग रोड़े अटका सकता है। उत्तर प्रदेश के 2 प्रमुख महानगरों के बीच करीब 85 किमी है, लेकिन बेतरतीब यातायात, गड्डाें की भरमार और सड़क किनारे सैकड़ों अवैध कब्जे एवं पार्किंग की वजह से लखनऊ से औद्योगिक नगरी कानपुर के बीच का सफर मुश्किलों भरा है।
महाना निवेशकों को बिजली, पानी, सड़क और सुरक्षा का भरोसा दिलाने में कामयाब रहे हैं, मगर अपने गृहनगर और राजधानी के बीच इस महत्वपूर्ण मार्ग पर कदम दरकदम व्याप्त अनिमियतिताओं पर उनकी नजर ना पड़ना अचरज भरा है। कानपुर छोटे मझोले उद्योगों का प्रमुख हब है। यहां से मसालों, सब्जियों के अलावा आटो पार्टस, चर्म उत्पाद, बिजली उपकरण और अन्य वस्तुओं की आपूर्ति 200 से 300 किमी के परिक्षेत्र में पड़ने वाले नगरों में होती है।
उत्तर प्रदेश सरकार के खजाने मे इजाफा करने में कानपुर के उद्योग जगत की भूमिका महत्वपूर्ण है। दोनों शहरों के बीच हर रोज हजारों की तादाद में नौकरीपेशा और व्यवसायी सफर करते हैं। लखनऊ का अमौसी हवाई अड्डा कानपुर के उद्योगपतियों के लिए आवाजाही का प्रमुख केंद्र है। इस लिहाज से कानपुर-लखनऊ राजमार्ग की खस्ता हालत चिंता का विषय बना हुआ है।