Edited By Tamanna Bhardwaj,Updated: 14 Jan, 2019 12:00 PM
तीर्थराज प्रयाग में गंगा, श्यामल यमुना और अ²श्य सरस्वती की त्रिवेणी में मंगलवार 15 जनवरी की भोर में अखाडों के शाही स्नान के साथ कुंभ मेले का आगाज होगा। दुनिया के सबसे बड़े आध्यात्मिक और सांस्कृतिक समागम कुंभ मेला में मकर संक्रांति के पहले स्ना...
प्रयागराजः तीर्थराज प्रयाग में गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती की त्रिवेणी में मंगलवार 15 जनवरी की भोर में अखाडों के शाही स्नान के साथ कुंभ मेले का आगाज होगा। दुनिया के सबसे बड़े आध्यात्मिक और सांस्कृतिक समागम कुंभ मेला में मकर संक्रांति पर स्नान पर्व के साथ डेढ माह से अधिक दिन तक चलने वाले मेले के दौरान 12 से 14 करोड़ श्रद्धालु गंगा, यमुना और अ²श्य सरस्वती के त्रिवेणी में आस्था की डुबकी लगायेंगे।
मेले के दौरान मकर संक्रांति, पौष पूर्णिमा, मौनी अमावस्या, बसंत पंचमी, माघी पूर्णिमा के साथ 04 मार्च को महाशिवरात्रि पर्व तक कुल छह स्नान पर्व होंगे, जिसमें से 15 जनवरी मकरसंक्रांति, चार फरवरी मौनी अमावस्या और 10 फरवरी बसंत पंचमी पर्व पर शाही स्नान होगा। मेले में कल्पवास करने और आस्था की डुबकी लगाने के लिए आने वाले श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए संगम की रेती पर बसाया गया तंबुओं का अस्थाई शहर इन दिनों गहमागहमी से भरपूर है। प्राचीन काल से संगम तट पर जुटने वाले कुंभ मेले की जीवंतता में आज भी कोई कमी नहीं आयी है। मेले में आस्था और श्रद्धा से सराबोर पुरानी परम्पराओं के साथ आधुनिकता के रंगबिरंगे नजारे देखने को मिलते हैं।
कुंभ मेले में दूरदराज से आकर संगम तट पर कल्पवास करने वाले साधु-संत, सन्यासी, दिव्यांगों और गृहस्थों द्वारा किये जाने वाले भजन-कीर्तन की एक झलक पाने के लिए बडी तादाद में विदेशी सैलानियों का भी जमघट लगा रहता है। भारतीय संस्कृति और आध्यात्म से प्रभावित कई विदेशी भी इस दौरान ‘पुण्य लाभ’ के लिए संगम स्नान करते नजर आते हैं।