राहुल गांधी के काशी विश्वनाथ दर्शन कार्यक्रम पर बोले जितेंद्रानंद सरस्वती- यह चुनावी स्टंट है...

Edited By Tamanna Bhardwaj,Updated: 17 Feb, 2024 11:09 AM

jitendranand saraswati said on rahul gandhi s kashi vishwanath

राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा 35वें दिन वाराणसी पहुंची। यूपी में न्याय यात्रा का दूसरा दिन है। राहुल गांधी बाबा काशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन-पूजन करेंगे। इस पर अखिल भारतीय संत समिति के जरिए कुछ सवाल उ...

वाराणसी: राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा 35वें दिन वाराणसी पहुंची। यूपी में न्याय यात्रा का दूसरा दिन है। राहुल गांधी बाबा काशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन-पूजन करेंगे। इस पर अखिल भारतीय संत समिति के जरिए कुछ सवाल उठाए है। संत समिति का कहना है कि 'यह राहुल गांधी का चुनावी स्टंट है। अगर उनके मन में आस्था होती तो वे ये न कहते कि मंदिर में लोग लड़कियां छेड़ने जाते हैं। इसमें विशुद्ध राजनीति और हिंदू धर्म के प्रति गाली झलकती है। राहुल सोमनाथ में गैर हिंदू के कॉलम में हस्ताक्षर कर के आते हैं। बनारस में बाबा विश्वनाथ मंदिर में गैर हिंदुओं का भी स्वागत है।

अखिल भारतीय संत समिति के महामंत्री स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने कहा कि राहुल गांधी के पहले के ही बयान 'मंदिर में लोग लड़कियां छेड़ने जाते हैं', को अगर आप देखें तो इसमें कहीं आस्था नहीं झलकती है। विशुद्ध राजनीति और हिन्दुओं को गाली देने जैसी बातें होती हैं। अगर अब राहुल के विचार बदल गए हों, सनातन हिन्दू धर्म के प्रति उनकी आस्था जग गई हो तो उसका स्वागत होना चाहिए। वे विश्वनाथ जी आ रहे हैं तो किसी का कोई विरोध नहीं है, लेकिन मन में संदेह तो जरूर है। हजारों वर्षों से हमारे मंदिरों पर यह जरूर लिखा रहा है कि गैर हिंदू प्रवेश वर्जित है। गैर हिन्दू अगर आस्था के वशीभूत मंदिरों में आता है तो उसका स्वागत किया जाएगा। मगर, किसी षड़यंत्र, किसी योजना, किसी राजनीति के अंतर्गत आता है तो स्वागत के योग्य नहीं होता है। 

उन्होंने कहा कि, पिछले विधानसभा चुनाव में गुजरात के चुनाव के समय सोमनाथ मंदिर में जब वो गए तो उन्होंने गैर हिन्दू के कॉलम में हस्ताक्षर किया। इसलिए स्वाभाविक तौर पर यह प्रश्न खड़ा होगा कि यह हिंदू हैं या गैर हिंदू हैं। अगर मन बदला है, आस्था जगी है तो स्वागत होना चाहिए, अन्यथा आस्था की आड़ में हिंदुओं की भावनाओं से खेलने का प्रयास है तो हिंदू समाज ऐसे लोगों को निश्चित पहचानता है। वहीं उन्होंने कहा कि, विश्वनाथ और ज्ञानवापी के प्रसंगों में पहले भी कांग्रेस के इतिहास में, जिन्होंने भगवान राम के अस्तित्व को नकारा, सुप्रीम कोर्ट में शपथ देकर राम अवतरित नहीं हुए, राम पैदा ही नहीं हुए ऐसी बातें कहीं।

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