Edited By Tamanna Bhardwaj,Updated: 05 Jul, 2018 07:01 PM
एक तरफ सरकार सर्व शिक्षा अभियान की योजना पर करोड़ों रुपए खर्च कर बच्चों को पढ़ने के लिए प्रेरित कर रही है। तो वहीं दूसरी तरफ गरीबी की मार झेल रहे बच्चे ना चाहते हुए भी अपने मां-बाप के साथ मजदूरी करने को मजबूर हैं। इसी तरह का ताजा मामला इटावा जिले...
इटावाः एक तरफ सरकार सर्व शिक्षा अभियान की योजना पर करोड़ों रुपए खर्च कर बच्चों को पढ़ने के लिए प्रेरित कर रही है। तो वहीं दूसरी तरफ गरीबी की मार झेल रहे बच्चे ना चाहते हुए भी अपने मां-बाप के साथ मजदूरी करने को मजबूर हैं। इसी तरह का ताजा मामला इटावा जिले में सामने आया है। जहां गरीबी की वजह से मजदूरी करने काे मजबूर बच्चा थाने में स्कूल जाने की फरियाद लेकर पहुंच गया। पुलिस से शिकायत करते हुए बच्चे ने कहा कि वह स्कूल जाना चाहता है लेकिन मां उसे जबरदस्ती काम पर भेजती है। आैर न जाने पर पिटाई भी करती है।
जानिए पूरा मामला
मामला थाना बकेवर क्षेत्र का है। यहां रहने वाला एक गरीब परिवार बड़ी मुश्किल से मजदूरी करके जीवन यापन करता है। मजदूरी के पैसे इतने नहीं हाेते कि वह अपने बच्चे काे स्कूल में पढ़ा सके। जिसकी वजह से वह बच्चे काे मजदूरी पर भेजने काे मजबूर है। रोज बच्चों को स्कूल जाते देखकर बच्चे ने अपनी मां को स्कूल भेजने के लिए कहा। लेकिन मां ने उसकी बात एक ना सुनी और पिटाई कर डाली। इसके बाद उसे फिर मजदूरी करने भेज दिया। वहीं इस बात से आहत होकर बच्चा सीधे थाने पहुंच गया। यहां उसने पुुलिस से मां की शिकायत की।
पुलिस से की मां की शिकायत
बच्चे ने पुलिस को बताया कि मम्मी हमें मजदूरी पर भेजती हैं और पढाई करने के लिए स्कूल नहीं जाने देती। जिसके बाद थाना बकेवर पुलिस के थानाध्यक्ष ने परिवार के लोगों से बात की। वहीं बच्चे के परिजनों की परेशानी को देखते हुए पुलिस के थानाध्यक्ष इंसानियत दिखाते हुए और बच्चे की पढ़ने की लग्न देखते हुए उसे एक प्राइवेट स्कूल में दाखिला करवाने और पूरा खर्चा उठाने के लिए तैयार हो गए। स्कूल में दाखिले के लिए विद्यालय के प्रबन्धक ने जिम्मेदारी भी ली। उन्होंने बताया कि हम अपने यहां इस बच्चे की पूरी देखभाल करेंगे क्योंकि यह बच्चा पढ़ना चाहता है।
थानाध्यक्ष ने ली बच्चे के पढ़ने की जिम्मेदारी
बच्चे के चाचा ने बताया कि गौरव के पिता का देहान्त 2 साल पहले हो चुका है और घर में खर्चा चलाने के लिए बच्चों से मजदूरी करवाई जाती थी। गरीबी की वजह से मां भी मजदूरी करती है तो बच्चों के काम करने के बाद ही खाने का इंतजाम हो पाता है। इसलिये पढाने के लिये नहीं भेजा जाता था। अब थानाध्यक्ष ने जिम्मेदारी ले ली है तो बच्चों को स्कूल भेजा जाएगा।