विदेशी चकाचौंध से अछूता है लोकआस्था का महापर्व ‘छठ’

Edited By Ruby,Updated: 10 Nov, 2018 05:16 PM

external glare is untouched by the general public s chhath

लोक आस्था का महापर्व‘छठ’की परंपरा को सात समन्दर पार पश्चिमी परिवेश की चकाचौंध भी प्रभावित नहीं कर सकी है। कार्तिक शुक्ल पक्ष की चतुर्थ तिथि से प्रारंभ होकर सप्तमी तिथि पर समापन होने वाले पर्व को सात समन्दर पार भी श्रद्धालु परंपरानुसार मनाते हैं।...

प्रयागराजः लोक आस्था का महापर्व‘छठ’की परंपरा को सात समन्दर पार पश्चिमी परिवेश की चकाचौंध भी प्रभावित नहीं कर सकी है। कार्तिक शुक्ल पक्ष की चतुर्थ तिथि से प्रारंभ होकर सप्तमी तिथि पर समापन होने वाले पर्व को सात समन्दर पार भी श्रद्धालु परंपरानुसार मनाते हैं। 

पश्चिमी संस्कृति की चकाचौंध से लोग प्रभावित हो रहे हो लेकिन आस्था के पर्व को मनाने वाले अब भी बड़ी शिद्दत के साथ परंपरानुसार पालन कर रहे हैं। सूर्य उपासना का पर्व छठ बिहार, झारखंड, नेपाल एवं पूर्वी उत्तर प्रदेश में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। यह एकमात्र ऐसा पर्व है जिसमें न केवल उदयाचल सूर्य की पूजा की जाती है बल्कि अस्ताचलगामी सूर्य को भी पूजा जाता है। 

महापर्व के दौरान हिंदू धर्मावलंबी भगवान सूर्य देव को जल अर्पित कर आराधना करते हैं। बिहार में इस पर्व का खास महत्व है। यह पर्व गंगा तट पर किया जाता है। नदी नहीं होने पर घर के बाहर कुंए और तालाब पर यह पर्व मनाया जाता हैं। अस्ताचलगामी सूर्य को अध्र्य देकर शुरू किया जाता है और चौथे दिन उदयाचल सूर्य की पूजा के बाद पर्व का समापन होता है।
 

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