Edited By Tamanna Bhardwaj,Updated: 09 Feb, 2020 05:26 PM
पतित पावनी गंगा, श्यामल यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम में पुण्य की डुबकी से जिन्दगी के आखिरी पड़ाव पर सभी मनोरथ पूरे हो गये।
प्रयागराज: पतित पावनी गंगा, श्यामल यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम में पुण्य की डुबकी से जिन्दगी के आखिरी पड़ाव पर सभी मनोरथ पूरे हो गये। माघी पूर्णिमा के अवसर पर युवाओं में जोश तो बुजुर्गों में श्रद्धा का भाव उफान मार रहा था।
गृहस्थ धन-धान्य, सुख-शांति एवं वैभव की आकांक्षा से गंगा मां की आंचल की छांव तले आस्था की डुबकी लगाने पहुंचे थे। स्नानार्थियों की भीड़ के बावजूद त्रिवेणी स्नान से रोम-रोम की सुखद अनुभूति से परिपूर्ण हुआ। पुण्य की एक ही डुबकी ने सारे मनोरथ पूरे कर दिए।