श्रद्धालुओं ने माघ मेले की जमकर की तारीफ, संगम तट पर बसा तंबुओं का अस्थाई शहर

Edited By Tamanna Bhardwaj,Updated: 22 Jan, 2020 01:59 PM

devotees praise magh mela fiercely temporary city of tents

सदी के सबसे बड़े धार्मिक आयोजन माघ मेले का आगाज 10 जनवरी के पौष पूर्णिमा स्नान पर्व के साथ हो चुका है। ऐसे में गंगा यमुना और अदृश्य सरस्वती के मिलन स्थल संगम तट पर एक नया शहर बस चुका है। इस नई बसी छोटी सी नगरी को कुम्भ नगरी की संज्ञा दी गई है...

प्रयागराजः सदी के सबसे बड़े धार्मिक आयोजन माघ मेले का आगाज 10 जनवरी के पौष पूर्णिमा स्नान पर्व के साथ हो चुका है। ऐसे में गंगा यमुना और अदृश्य सरस्वती के मिलन स्थल संगम तट पर एक नया शहर बस चुका है। इस नई बसी छोटी सी नगरी को कुम्भ नगरी की संज्ञा दी गई है। करीब 43 दिनों तक चलने वाले इस धार्मिक आयोजन के लिए एक नया शहर बसाया गया है। इस अस्थाई शहर में वह सभी सुविधाएं होती है। जो एक शहर में होती है। शहर तम्बुओं का बना होता है। इस नए शहर में पूरे 43 दिनों तक ना सिर्फ साधु संत बल्कि आम श्रद्धालु धार्मिक धुनि रमते नजर आते है।

विश्व में आस्था और श्रद्धा का सबसे बड़ा केंद्र माने जाना वाला माघ मेला अब बस चुका है।धार्मिक महत्त्व के अलावा यह मेला विश्व के प्रमुख सबसे बड़े मेले में से एक होते हैं। जहां पर देश-विदेश के लाखों श्रद्धालु स्नान करने के लिए आते हैं। लगता है मानों एक नया शहर ही बस गया हो। तंबुओं के इस शहर में आपको केवल तंबू ही दिखाई देंगे। जहा लोग रहते है, कल्पवास करते है। यहां पर विश्व का सबसे बडा़ जमावड़ा होता है।

साथ ही त्रिवेणी के संगम में स्नान करने की बहुत बड़ी महत्ता है। पर इस स्थान की तीसरी नदी सरस्वती अब से हजारों वर्ष पहले लुप्त हो चुकी है। आर्यकाल में यह स्थान प्रयाग कहा जाता था और आज इसको प्रयागराज कहते हैं। तम्बुओं के इस अस्थाई शहर में आम शहर की तरह पुलिस स्टेशन होते है। चिकित्सालय होते है, बैंक होते है। फायर स्टेशन, विधुत विभाग, रेलवे स्टेशन, डाक की सेवाएं होती है। खाने पीने की सुविधा होती है, कपड़ों की दूकान आदि सभी जीवन से जुड़ी सभी सुविधाएं होती है। इस आस्थाई शहर की खास बात ये है कि एक स्थाई शहर में अस्थाई शहर बसता है।

स्थानीय लोग इस संयोग को शुभ मानते है और गौरवान्वित भी महसूस करते है। करीब 2000 बीघे से ज्यादा क्षेत्र में फैले इस अस्थाई शहर को 6 सैक्टर में विभाजित किया गया है। इस बार के माघ मेले में करीब 5 करोड़ से ज्यादा लोगों के आने की उम्मीद है। इतने लोगों को सही ढंग से नियंत्रित करने के लिए मेला प्रशासन ने 13 पुलिस थाने का निर्माण किया है। 21 फरवरी को महाशिवरात्रि के स्नान पर्व के साथ माघ मेले का समापन होगा। माघ मेले आए श्रद्धालुओं का कहना है कि ये बिल्कुल अद्भुत नजारा है। जिस जगह सितम्बर के महीने में मेला क्षेत्र में बाढ़ आयी हुई थी। वहीं आज संगम की रेती में तंबुओं का शहर बसा हुआ।



 

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