Edited By Imran,Updated: 04 Nov, 2024 06:32 PM
उत्तर प्रदेश सरकार ने सोमवार को राज्य में पशुपालन और परापशुचिकित्सा के क्षेत्र में डिप्लोमा और सर्टिफिकेट कोर्स शुरू करने के लिए नीति तैयार करने का फैसला किया।
लखनऊ: उत्तर प्रदेश सरकार ने सोमवार को राज्य में पशुपालन और परापशुचिकित्सा के क्षेत्र में डिप्लोमा और सर्टिफिकेट कोर्स शुरू करने के लिए नीति तैयार करने का फैसला किया।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में इस संबंध में निर्णय लिया गया। पशुपालन मंत्री धर्मपाल सिंह ने बताया कि यह पहल ग्रामीण इलाकों में पशु चिकित्सा सेवाओं को मजबूत करने और पशु चिकित्सा विज्ञान में प्रशिक्षित पैरावेट्स की संख्या बढ़ाने के उद्देश्य से की जा रही है। उन्होंने बताया कि इस नई नीति के तहत राज्य में निजी संग सरकारी संस्थानों में पशुपालन डिप्लोमा और सर्टिफिकेट कोर्स संचालित किए जा सकेंगे, जिससे पैरावेट्स (पशु चिकित्सा सहायता प्रणाली में काम करने वाला सहायक) को जरूरी प्रशिक्षण और कौशल विकास में सहायता मिलेगी।
सिंह ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों में पैरावेट्स की भूमिका अत्यधिक महत्वपूर्ण है क्योंकि यहां पशु चिकित्सकों की संख्या सीमित है। उन्होंने बताया, “पूरे देश में लगभग 34,500 पशु चिकित्सक हैं, जबकि उत्तर प्रदेश में वर्तमान में मात्र 8,193 पशु चिकित्सक ही उपलब्ध हैं। इस कमी के कारण पैरावेट्स को कई बार टीकाकरण, घावों की पट्टी, प्राथमिक उपचार और देखभाल जैसे कार्यों में पशु चिकित्सकों के पर्यवेक्षण में सहायक भूमिका निभानी पड़ती है।” मंत्री ने बताया, “ ग्रामीण क्षेत्रों में ‘पैरावेट्स' को पशु स्वास्थ्य सेवाओं के लिए तैयार किया जाता है, लेकिन संसाधनों की कमी और अपर्याप्त प्रशिक्षण के कारण वे कई प्रकार की चुनौतियों का सामना कर रहे हैं।”
पशुधन मंत्री ने बताया कि बेहतर पशु स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने के लिए पैरावेट्स के प्रशिक्षण और कौशल में वृद्धि की आवश्यकता को देखते हुए प्रदेश सरकार ने डिप्लोमा और सर्टिफिकेट कोर्स के माध्यम से उन्हें प्रशिक्षित करने का निर्णय लिया है। उन्होंने बताया कि इस नीति के तहत पैरावेट्स को टीकाकरण, प्राथमिक चिकित्सा, घावों की देखभाल और पशु स्वास्थ्य सेवाओं के अन्य आवश्यक पहलुओं में प्रशिक्षित किया जाएगा।