7 वर्षीय बच्ची के साथ ससुराल के बाहर धरने पर बैठी बहू, ससुराल वाले फरार

Edited By Tamanna Bhardwaj,Updated: 23 Jul, 2018 02:44 PM

daughter in law sitting on the dock outside the in laws house

बाराबंकी में एक बहु अपनी 7 साल की मासूम बच्ची को लेकर ससुराल वालों से अपना हक मांग रही है, लेकिन ससुराल वाले उसे उसका हक देना तो दूर उसे घर में घुसने तक नहीं दे रहे। जिसके चलते मजबूर बहू अपनी मासूम बच्ची को साथ लेकर ससुराल के बाहर सड़क पर धरने पर बैठ...

बाराबंकीः बाराबंकी में एक बहु अपनी 7 साल की मासूम बच्ची को लेकर ससुराल वालों से अपना हक मांग रही है, लेकिन ससुराल वाले उसे उसका हक देना तो दूर उसे घर में घुसने तक नहीं दे रहे। जिसके चलते मजबूर बहू अपनी मासूम बच्ची को साथ लेकर ससुराल के बाहर सड़क पर धरने पर बैठ गई है।

जानिए पूरा मामला 
मामला फतेहपुर कस्बे के काजीपुर मोहल्ले का है। यहां एक महिला अपनी 7 साल की मासूम बच्ची को साथ लेकर अपने ससुराल के बाहर पिछले 2 दिनों से धरना दे रही है। महिला की मानें तो पिछले साल हुई उसके पति की हत्या के बाद से ही उसके ससुराल वालों का उसके प्रति सलूक बदल गया। इतना ही नहीं ससुराल वाले उसे प्रताड़ित करते हैं।

ससुराल वालों ने बहू को निकाला घर से बाहर
पति की असमय मौत का दर्द झेल रही महिला अपनी मासूम बच्ची के भविष्य का सोच कर ससुराल वालों की प्रताड़ना भी सहती रही, लेकिन हद तो उस वक्त हो गई। जब 2 दिन पहले जब ज्योति गर्मी की छुट्टियों के बाद अपने मायके से वापस ससुराल आई तो उसके ससुर रामनाथ सोनी,सास शिवदेवी और नंद पूजा ने उसे घर में घुसने ही नहीं दिया और यह फरमान सुनाया कि तुम्हारा यहां कुछ भी नहीं है।

ससुर के हैं आरएसएस से संबंध 
ससुराल वालों के इस फरमान से महिला के पैरों तले से जमीन निकल गई और काफी मिन्नतों के बाद भी जब ससुराल वालों का दिल नहीं पसीजा तो महिला ने पुलिस से मदद की गुहार लगाई। महिला की मानें तो उसके ससुर रामनाथ सोनी आरएसएस से जुड़े है। लिहाजा उनके प्रभाव के चलते इलाकाई पुलिस ने उसकी मदद के बदले आश्वासन देकर उसे टरका दिया।

ताला लगाकर रिश्तेदार के चले गए ससुराली
जिसके चलते अब वह अपनी 7 साल की मासूम बेटी को साथ लेकर ससुराल की दहलीज पर 2 दिनों से धरने पर बैठी हुई है। वहीं दूसरी तरफ ज्योति के ससुराल वाले घर मे ताला बंद कर रिश्तेदारों के यहां चले गए है।

उठता है ये सवाल 
ऐसे में सवाल उठना लाजमी है कि जब केंद्र से लेकर प्रदेश की सरकारें और तमाम संगठन महिलाओं को इंसाफ दिलाने के लिए बड़ी-बड़ी बातें करते हैं, लेकिन हकीकत इससे कोसों दूर है। अब महिला और उसकी बेटी को हक मिलेगा के नहीं ये तो आने वाले वक्त ही बताएगा। 

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