Edited By Deepika Rajput,Updated: 24 Jul, 2018 01:57 PM
बेटियां, बेटों से कम नहीं होती चाहे बात व्यवहारिक जीवन की हो या फिर सामाजिक जीवन की। जरुरत पड़ने पर बेटियां, बेटों का फर्ज भी निभाने से पीछे नहीं हटती।
वाराणसी: बेटियां, बेटों से कम नहीं होती चाहे बात व्यवहारिक जीवन की हो या फिर सामाजिक जीवन की। जरुरत पड़ने पर बेटियां, बेटों का फर्ज भी निभाने से पीछे नहीं हटती। इसकी ताजी बानगी वाराणसी में देखने को मिली है। यहां मां की आखिरी इच्छा को पूरा करते हुए बेटी और बहुओं ने उनकी अर्थी को कंधा दिया। इतना ही नहीं उन्होंने मां की दूसरी इच्छा को पूरा करते हुए मृतका की आंखें भी दान की।
वाराणसी के बरियासनपुर गांव निवासी संतोरा देवी के पति का निधन 20 वर्ष पहले हो चुका था। पति की मौत के वक्त संतोरा ने नेत्रदान करने का संकल्प लेते हुए कहा था कि उनकी अर्थी को कंधा इकलौती बेटी ही देगी। रविवार को संतोरा का निधन हो गया। दो बेटों के होते हुए बेटी पुष्पावती पटेल जब कंधा देने आई तो रिश्तेदारों ने ऐसा करने से रोकना चाहा। उनके विरोध के बाद भी बेटी की हिम्मत नहीं टूटी।
भाई-भाभियों के समर्थन और मां की अंतिम इच्छा को ध्यान में रखते हुए पुष्पा ने उनकी अर्थी को कंधा दिया। इतना ही नहीं बेटी ने मां की दूसरी इच्छा को पूरा करते हुए उनकी आंखें भी दान की।