इटावा में टैक्स वसूली में झोल से लाखों का चूना

Edited By Tamanna Bhardwaj,Updated: 19 Aug, 2019 03:00 PM

millions lost in tax collection in etawah

उत्तर प्रदेश के इटावा मे व्यवसायिक भवनों से टैक्स वसूलने की प्रकिया मे भारी झोल के कारण नगर पालिका परिषद को सालाना करीब 20 करोड रूपये का नुकसान हो रहा है। परिषद के कर निर्धारण अधिकारी जगजीवन राम ने सोमवार को बताया कि ढाई लाख से अधिक की आबादी पर...

इटावाः उत्तर प्रदेश के इटावा मे व्यवसायिक भवनों से टैक्स वसूलने की प्रकिया मे भारी झोल के कारण नगर पालिका परिषद को सालाना करीब 20 करोड रूपये का नुकसान हो रहा है। परिषद के कर निर्धारण अधिकारी जगजीवन राम ने सोमवार को बताया कि ढाई लाख से अधिक की आबादी पर पालिका गृहकर और जलकर के रूप में जो टैक्स लगाती है। उसी से विकास कार्यों को दिशा और गति मिलती है लेकिन शहरी आबादी में व्यवसायिक भवनों पर टैक्स लगाने के नाम पर पालिका अब तक कोई सही नीति नहीं बना पाई। पालिका को कामर्शियल भवनों से टैक्स मिलने लगे तो 15 से 20 करोड़ रुपए हर साल की कमाई में इजाफा हो सकता है।

उन्होंने कहा कि परिषद की ओर से कामर्शियल तौर पर कर बसूलने के मानक के क्रम मे कार्यवाही अमल मे लाई जा रही है इसके बावूजद अभी भी सर्वे मे नये कामर्शियल भवनो को जोडा जाना बकाया है जैसे ही सर्वे पूरा हो जायेगा वैसे ही यह समस्या दूर हो जायेगी।

इटावा शहर में कामर्शियल भवनों मे छह मॉल, दो मल्टीप्लेक्स , 44 होटल , 76 मैरिज होम, लॉच 21 , शोरूम 108 , मल्टीलेवल बाजार 9 , 2371 दुकाने है । पालिका क्षेत्र में स्वकर प्रणाली भवनों पर लागू है जिसके अन्तर्गत घरेलू उपभोक्ताओं से गृहकर व जलकर वसूल किया जाता है। पालिका सर्वे के नाम पर केवल शहर क्षेत्र के हाउस होल्डर को ही शायद कर दाता मानती है। तभी शहर के कामर्शियल भवनों जिनमें मैरिज होम, मॉल, टॉकीज, नर्सिंग होम, शोरुम, बडे़ होटल, रेस्टोरेंट, लॉज आदि पर अब तक टैक्स की दरें निर्धारित नहीं की गई हैं जो पालिका के बडे़ आय के स्त्रोत हैं।

विश्वस्त सूत्रों के अनुसार लाइसेंस देने के साथ ही कई अन्य स्तरों पर भी पालिका की मॉनीटरिंग रहती है। इन सबके बावजूद शहर के अंदर कई ऐसे कॉमर्शियल भवन हैं जिनका न तो टैक्स जमा हो रहा और न ही पालिका उन्हें सर्वे में शामिल कर पाई है। कई बार सर्वे करने वाली टीम के कुछ सदस्य इन भवन स्वामियों से कागजी कारर्वाई के नाम पर हेर-फेर करते हैं। जिसके चलते न तो इन्हें अब तक स्वकर प्रणाली के अन्तर्गत लाया जा सकता और न ही इन पर पालिका कोई टैक्स लगा पाई।

एक अनुमान के मुताबिक शहर के सभी मैरिज होम, नर्सिंग होम, होटल, रेस्टोरेंट, मॉल आदि को मिलाकर प्रतिवर्ष पालिका को 15 से 20 करोड़ का राजस्व कॉमर्शियल भवनों से मिल सकता है। लेकिन इसके बावजूद इस ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा । हालांकि पालिका के अधिकारियों का कहना है कि उन्होंने 200 से अधिक कॉमर्शियल भवनों को चिंहित किया है और इन पर टैक्स भी लगाया जा रहा है।
 

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