Edited By Ramkesh,Updated: 01 Nov, 2020 04:15 PM
उत्तर प्रदेश में बुलंदशहर सदर सीट के विधानसभा उपचुनाव में सघन प्रचार अभियान के बावजूद मतदाताओं की खामोशी ने सभी उम्मीदवारों की नींद उड़ा रखी है।
बुलंदशहर: उत्तर प्रदेश में बुलंदशहर सदर सीट के विधानसभा उपचुनाव में सघन प्रचार अभियान के बावजूद मतदाताओं की खामोशी ने सभी उम्मीदवारों की नींद उड़ा रखी है। भाजपा बसपा कांग्रेस सपा समर्थित रालोद के उम्मीदवार सहित 18 प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं लेकिन मुख्य संघर्ष भाजपा की उषा सिरोही और बहुजन समाज पार्टी के हाजी एस के बीच नजर आ रहा है।
सपा समर्थित रालोद के प्रत्याशी पीके सिंह और चंद्रशेखर की पार्टी आजाद समाज पार्टी के हाजी आमीन कांग्रेस के सुशील चौधरी, मुकाबले में आने के लिए जी तोड़ मेहनत कर रहे हैं। वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के विरेंद्र सिंह सिरोही बसपा के दो बार इसी सीट से जीते विधायक हाजी अलीम को लगभग 24000 वोट से हराकर विधायक चुने गये, गए थे। उनके निधन से रिक्त हुई सीट पर भाजपा ने उनकी पत्नी 68 वर्षीय उषा सिरोही को तो बसपा ने हाजी अलीम के छोटे भाई ब्लाक प्रमुख आज यूनुस को प्रत्याशी बनाया है।
कांग्रेस की ओर से सुशील चौधरी रालोद के टिकट पर पीके सिंह राष्ट्रवादी कांग्रेस की ओर से योगेंद्र शंकर शर्मा प्रत्याशी हैं। चंद्रशेखर आजाद की पार्टी आजाद समाज पार्टी ने हाजी यामीन शेर सिंह राणा की पार्टी राष्ट्रीय जन लोक ने ठाकुर पृथ्वीराज सिंह को मैदान में उतारा है। भाजपा से बगावत कर चुनाव मैदान में उतरी डॉ उर्मिला राजपूत राष्ट्रीय क्रांति पार्टी की प्रत्याशी सीट पर अपना परचम फैलाने के लिए भाजपा ने अपनी पूरी ताकत झोंक रखी है। प्रदेश सरकार के तीन तीन मंत्री भाजपा संगठन के के प्रमुख पदाधिकारी चुनाव तिथि घोषित करने के बाद से यही जमे है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पार्टी प्रत्याशी के पक्ष में प्रचार करने आ चुके हैं। भाजपा इस चुनाव को कितना अहम मान रही है। यह इससे, पता चलता है कि प्रांतीय संगठन महामंत्री सुनील बंसल दो बार यहां कर चुनाव कार्य में लगे मंत्री संगठन पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं को बूथ स्तर तक सक्रिय करने व जीत के लिए क्या क्या करना है। यह बता चुके हैं। बुलंदशहर सीट भाजपा के लिए कभी आसान नहीं रही।