Edited By Pooja Gill,Updated: 20 Feb, 2025 03:46 PM

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि वित्तीय वर्ष 2025-26 का बजट सनातन संस्कृति की सर्वे भवन्तु सुखिन: की अवधारणा के अनुरूप गरीब, अन्नदाता किसान, युवा और महिला उत्थान को समर्पित है...
लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि वित्तीय वर्ष 2025-26 का बजट सनातन संस्कृति की सर्वे भवन्तु सुखिन: की अवधारणा के अनुरूप गरीब, अन्नदाता किसान, युवा और महिला उत्थान को समर्पित है जिसमें वंचित को वरीयता का केंद्रीय भाव है। विधानभवन में बजट पेश करने के बाद संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि शिक्षा, रोजगार और उद्यमिता हमारी सरकार की प्राथमिकता है। प्रदेश में लगभग छह करोड़ लोगों को बहुआयामी गरीबी से ऊपर उठाया गया है। अब जीरो पॉवर्टी के महत्वाकांक्षी लक्ष्य के साथ कार्य हो रहा है।
सीएम योगी ने कहा, इस अभियान के अन्तर्गत प्रत्येक ग्राम पंचायत से निर्धनतम परिवारों को चिन्हित करते हुए उनकी बुनियादी आवश्यकताओं की पूर्ति करने के लिए आवश्यक कदम उठाये जा रहे हैं। सरकार का यह भी प्रयास है कि इन परिवारों को ऐसी आर्थिक गतिविधियों के साथ जोड़ा जाए। बजट का आकार आठ लाख आठ हजार 736 करोड़ रुपये से अधिक का निर्धारित किया गया है जो वर्ष 2024-25 के बजट के सापेक्ष 9.8 प्रतिशत अधिक है। शिक्षा क्षेत्र के लिये एक लाख छह हजार 360 करोड़ रुपये से अधिक प्रस्तावित है जो कुल बजट का 13 प्रतिशत है। शिक्षा पर इतना व्यय करने वाला उत्तर प्रदेश अग्रणी राज्य है। कृषि क्षेत्र के अन्तर्गत कृषि, उद्यान, पशुधन, दुग्ध, मत्स्य, सहकारिता, ग्राम्य विकास, पंचायती राज, नमामि गंगे तथा ग्रामीण जलापूर्ति के लिये कुल लगभग 89 हजार 353 करोड़ रुपये प्रस्तावित है। चिकित्सा क्षेत्र के अन्तर्गत चिकित्सा, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, चिकित्सा शिक्षा, आयुष तथा सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिये 50 हजार 550 करोड़ रुपये से अधिक का प्रावधान है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कुल व्यय में दो लाख 25 हजार 561 करोड़ 49 लाख रुपये कैपिटल एक्सपेंडिचर सम्मिलित है। वर्ष 2017-18 में प्रदेश की जीडीपी 12.89 लाख करोड़ रुपये थी, जो वर्ष 2024-25 में बढ़कर 27.51 लाख करोड़ रुपये होने का अनुमान है। प्रदेश का राजकोषीय घाटा, सकल राज्य घरेलू उत्पाद का 2.97 प्रतिशत है, जो भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा एफआरबीएम एक्ट में निर्धारित 3.5 प्रतिशत की सीमा से कम है। नीति आयोग द्वारा राज्यों की राजकोषीय स्थिति के सम्बन्ध में प्रकाशित रिपोर्ट में उत्तर प्रदेश को फ्रंट रनर (अग्रणी) राज्य की श्रेणी में रखा गया है। इस रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2018-19 से वर्ष 2022-23 की अवधि में प्रदेश के समेकित फिस्कल हेल्थ इण्डेक्स में 8.9 अंकों का इजाफा हुआ है।