Edited By Deepika Rajput,Updated: 09 Oct, 2018 01:51 PM
2019 के लोकसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक सरगर्मियां तेज होती नजर आ रही हैं। चुनाव का समय जैसे-जैसे करीब आ रहा है वैसे-वैसे राजनीति घटनाक्रम भी तेजी से करवट ले रहा है। वहीं इस बीच बसपा सुप्रीमो मायावती ने एक बार फिर दोहराया है कि पार्टी सम्मानजनक सीटें...
लखनऊः 2019 के लोकसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक सरगर्मियां तेज होती नजर आ रही हैं। चुनाव का समय जैसे-जैसे करीब आ रहा है वैसे-वैसे राजनीति घटनाक्रम भी तेजी से करवट ले रहा है। वहीं इस बीच बसपा सुप्रीमो मायावती ने एक बार फिर दोहराया है कि पार्टी सम्मानजनक सीटें नहीं मिलने पर किसी के साथ गठबंधन नहीं करेगी और अपने दम पर चुनाव लड़ेगी।
सीटों के लिए किसी से भीख नहीं मांगेगी बसपा
बसपा संस्थापक कांशीराम की पुण्यतिथि पर मायावती ने कहा कि चुनावी गठबंधनों के लिए पार्टी ने सम्मानजनक सीटें मिलने की शर्त रखी है। गठबंधन में बसपा सीटों के लिए किसी से भीख नहीं मांगेगी। सम्मानजनक सीटें नहीं मिलने पर पार्टी अकेले अपने बलबूते पर चुनाव लड़ती रहेगी। मायावती ने बसपा संस्थापक को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि पार्टी स्वर्गीय कांशीराम के 'सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय' संकल्प के साथ देश के विकास के पथ पर आगे बढ़ने का काम करेगी।
बसपा संस्थापक को अर्पित की श्रद्धांजलि
इस दौरान मायावती ने कार्यकर्ताओं से राजस्थान, छतीसगढ़, मध्य प्रदेश और दक्षिणी भारतीय राज्य तेलंगाना में होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जुटने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि बसपा दलितों, आदिवासियों, पिछड़ों, मुस्लिम और अन्य धार्मिक अल्पसख्यकों के साथ अपरकास्ट समाज के गरीबों के सम्मान तथा स्वाभिमान के साथ कभी समझौता नहीं करेंगी। चाहे इसके लिए कांग्रेस तथा बीजेपी सरकारों की कितनी ही प्रताड़ना क्यों ना झेलनी पड़ें।
कांग्रेस तथा बीजेपी पर लगाया आरोप
मायावती ने आरोप लगाया कि कांग्रेस तथा बीजेपी बसपा को बदनाम तथा राजनीतिक तौर पर कमजोर करने के लिए केवल प्रयास ही नहीं बल्कि साम, दाम, दण्ड, भेद आदि अनेकों हथकंडों का लगातार इस्तेमाल करती रहती है। चुनावों के समय दोनों पार्टियां बसपा के खिलाफ साजिश कर रही है। दोनों पार्टियों से सावधान रहने की जरुरत है।
बाबा साहेब के रुके कार्यों को पार्टी ने बढ़ाया आगे
उन्होंने कहा कि बाबा साहेब के रुके पड़े कार्यों को पार्टी ने आगे बढ़ाने का काम किया है। इसमेें काफी हद तक बड़ी सफलताएं भी अर्जित की हैं। इसी का यह परिणाम है कि सदियों से शोषित, पीड़ित व उपेक्षित समाज का हर सदस्य अपने आत्म-सम्मान तथा स्वाभिमान के लिए अपने-अपने स्तर पर कड़ा संघर्ष कर रहा है। सरकारी जुल्म-ज्यादती व आतंक झेलने के बावजूद सत्ता की मास्टर चाबी प्राप्त करने के लिए तन, मन, धन से लगा हुआ है।