Edited By Tamanna Bhardwaj,Updated: 18 Dec, 2019 01:03 PM
नौकरशाहों के खिलाफ उत्तर प्रदेश राज्य विधानसभा में आवाज बुलंद कर विधायकों को एकजुट करने वाले विधायक नंदकिशोर गुर्जर की मंगलवार देर रात सीएम योगी आदित्यनाथ से मुलाकात हुई। इस दौरान विधायक ने 29 नवम्बर को लिखे पत्र का भी जिक्र किया। बताया जा रहा है...
लखनऊः नौकरशाहों के खिलाफ उत्तर प्रदेश राज्य विधानसभा में आवाज बुलंद कर विधायकों को एकजुट करने वाले विधायक नंदकिशोर गुर्जर की मंगलवार देर रात सीएम योगी आदित्यनाथ से मुलाकात हुई। इस दौरान विधायक ने 29 नवम्बर को लिखे पत्र का भी जिक्र किया। बताया जा रहा है कि इस मामले में सीएम योगी ने ऐसे प्रकरण को गम्भीरता से लेने का आश्वासन दिया है।
वहीं संसदीय कार्यमंत्री सुरेश खन्ना और उप मुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा ने योगी को मंगलवार को विधानसभा में हुई घटना की जानकारी दी। इस मौके पर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह भी मौजूद रहे। सीएम के निर्देश पर अब इस मामले पर कैबिनेट मंत्री सुरेश खन्ना नजर रखेंगे।
गौरतलब है कि भाजपा विधायक ने मंगलवार को विधानसभा में अफसरों के खिलाफ बोलने की अनुमति मांगी थी जिसे विधानसभा अध्यक्ष ने नकार दिया था। इस बात को लेकर पहले विपक्ष और बाद में सत्ता पक्ष के कई विधायक गुर्जर के समर्थन में खडे हो गए थे। विधायकों ने धरना दिया था। संसदीय कार्यमंत्री सुरेश खन्ना और उप मुख्यमंत्री डॉ दिनेश शर्मा के मनाने पर विधायक नहीं माने थे जिसके चलते विधानसभा की कार्यवाही बुधवार यानी आज तक के लिये स्थगित करनी पड़ी थी।
इस बीच लोनी के विधायक ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर भरोसा जताते हुए उसे इंसाफ मिलने की उम्मीद जाहिर की है। उनका आरोप है कि अफसर विधायकों की सुनते नहीं हैं। वह जनता की आवाज उठते है, इसलिए अफसर उनके खिलाफ साजिश कर रहे हैं, जिसमें पार्टी के कुछ लोग भी शामिल हैं।
उन्होंने कहा कि अधिकारी विधायक निधि में कमीशन लेते हैं। प्रमुख सचिव नियुक्ति को शिकायत करने गए तो वो भी नहीं सुने। विधायकों की स्थिति बदतर है, उनके सम्मान को ठेस पहुंचाई जा रही है। आज विधायक धक्के खा रहे हैं, नियुक्ति सचिव ने चपरासियों जैसा व्यवहार करते हैं। सपा बसपा सरकार में अफसरों ने खूब लूटा और अब भ्रष्टाचार उनके खून में चला गया है। भ्रष्ट अफसरों का खून बदलना पड़ेगा। गुर्जर ने कहा कि उन्हे मुख्यमंत्री पर भरोसा है। सरकार में सबको भरोसा है। उनका विरोध भ्रष्ट अफसरों से है, जबकि ईमानदार अधिकारियों को उन्होंने सम्मानित भी किया है।