8 किमी तक ठेले पर ढोया दिव्यांग ने पिता का शव, अंतिम संस्कार के लिए भी नहीं हैं पैसे

Edited By Punjab Kesari,Updated: 27 Mar, 2018 11:35 AM

barabanki physically challenged dead body on hand cart

प्रदेश सरकार बेहतर स्वास्थ्य विभाग के लाख दावें कर ले, लेकिन जमीनी हकीकत इससे कोसों दूर है। ताजा मामला बाराबंकी का है, जहां एक दिव्याग अपने बीमार पिता के शव को ठेलिया पर लादकर 8 किलोमीटर पैदल चलकर लोनी कटरा पहुंचा।

बाराबंकीः प्रदेश सरकार बेहतर स्वास्थ्य विभाग के लाख दावें कर ले, लेकिन जमीनी हकीकत इससे कोसों दूर है। ताजा मामला बाराबंकी का है, जहां एक दिव्याग अपने बीमार पिता के शव को ठेलिया पर लादकर 8 किलोमीटर पैदल चलकर लोनी कटरा पहुंचा। शव ले जाने के लिए अस्पताल ने एम्बुलेंस तक उपलब्ध नहीं कराई। अस्पताल के डॉक्टरों का कहना है कि उनके पास शव गांव तक भिजवाने की कोई व्यवस्था नहीं है।

जानकारी के मुताबिक बाराबंकी में मंशाराम की तबीयत सोमवार को खराब हो गई। राजकुमार ठेले पर लादकर अपने बीमार पिता मंशाराम को अपनी छोटी बनह मंजू के साथ सीएचसी लेकर पहुंचा, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। अस्पताल में पिता की मौत के बाद शव ले जाने के लिए भाई-बहन घंटों भटके, लेकिन कोई मदद के लिए आगे नहीं आया। जिसके बाद दिव्यांग राजकुमार पिता के शव के लादकर 8 किलोमीटर पैदल चलकर लोनी कटरा पहुंचा। दोनों भाई-बहन के पास अंतिम संस्कार के लिए भी पैसे नहीं है।

सीएससी पर मौजूद डॉक्टर ने बताया कि जब मरीज यहां पहुंचा तब उसकी मौत हो चुकी थी। सीएससी से शव वापस गांव भिजवाने की कोई व्यवस्था नहीं थी। वहीं इस संबंध में सीएससी अधीक्षक त्रिवेदीगंज मुकुंद पटेलका कहना है कि मैं जिला मुख्यालय पर डीएम की मीटिंग में गया था। यदि मौजूद होता तो जरूर वापस भिजवाता चाहे इसके लिए अपनी निजी खर्चे व्यवस्था ही क्यों ना करनी पड़ती।
 

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