अयोध्याः नंदीग्राम के भरतकुंड पर दीपावली पर होगा भव्य दीपोत्सव, ये है मान्यता

Edited By Tamanna Bhardwaj,Updated: 12 Nov, 2020 05:28 PM

ayodhya s diwali will be celebrated amidst double happiness

दीपों का पर्व दीपावली में राजा राम के लंका विजय के बाद राम और सीता के अयोध्या वापसी के साथ-साथ इस वर्ष राम मंदिर निर्माण की खुशी देखने को मिल रही है। यह दीपोत्सव इसलिए भी बेहद खास है, क्योंकि राजा राम के अयोध्या आने की खुशी के बीच मंदिर बनने की ख़ुशी...

अयोध्याः दीपों का पर्व दीपावली में राजा राम के लंका विजय के बाद राम और सीता के अयोध्या वापसी के साथ-साथ इस वर्ष राम मंदिर निर्माण की खुशी देखने को मिल रही है। यह दीपोत्सव इसलिए भी बेहद खास है, क्योंकि राजा राम के अयोध्या आने की खुशी के बीच मंदिर बनने की ख़ुशी को व्यक्त करने के लिए अयोध्या को दीपों से सजाया गया है। इसीलिए अयोध्या के नंदीग्राम भरतकुंड पर दीपावली से एक दिन पहले भव्य दीपोत्सव का आयोजन किया जा रहा है। मान्यता है कि लंका विजय के बाद सबसे पहले श्री राम यहीं पहुंचे थे और सबसे पहले इसी भरतकुंड पर खुशियां मनाई गयी थी।

महारानी कैकेई की याचना पर त्रेता युग में महाराज दशरथ ने उन्हें दो वरदान दिए थे एक भरत को राज्य और दूसरा राम को 14 वर्ष का वनवास। भरत को ननिहाल से लौटने पर सारी घटना का पता चली तो वह राम को मनाने वन गए और भगवान राम के वापस न लौटने पर प्रतीक के रूप में उनकी खडाऊ ले आए। राज्य बैभव को त्याग कर इसी नंदीग्राम में रहकर पूजा पाठ करने लगे। कहते हैं कि भरत भाई और पिता का वचन निभाने और माता की आज्ञा मानने की बात समझ कर भले ही वन से वापस चले आए, लेकिन उन्होंने कहा था कि 14 वर्ष के बाद एक दिन भी लौटने में बिलम्ब हुआ तो वह अपने प्राण त्याग देंगे। इसीलिए भगवान राम ने भाई भरत को अपनी वापसी का संदेश सुनाने हनुमान जी को भरत के पास भेजा और यहीं पर भरत और हनुमान की दूसरी बार मुलाकात हुई और उन्हें भाई राम के अयोध्या वापसी का समाचार मिला। इसके बाद श्री राम के वापसी का जश्न दीपोत्सव के रूप में मनाया गया।

भरत और हनुमान की मुलाकात के झलक नन्दिग्राम के मंदिरों की दीवालों पर तो दिखाई ही देते है, लेकिन इनके बिग्रह आज भी उस समय के इनके मनो भाव की कहानी कहते दिखाई देते हैं। ऐसे ही विग्रह में जब राम और हनुमान गले मिल रहे होते है तो भरत के चेहरे पर भाई राम लखन और भाभी सीता के आने की खुशी और हनुमान के चेहरे पर यह संदेश सुनाने का संतोष साफ़ साफ़ दिखाई देता है। रामायण ही नहीं सभी धर्म ग्रन्थ भी कहते हैं कि नंदीग्राम में जब हनुमान ने प्रभु श्री राम के आने का समाचार सुनाया तो भरत ने उन्हें गले लगा लिया और इस खुशी का समाचार उन्होंने अयोध्या वासियों को सुनाया तो खुशी के मारे अयोध्या वासियों ने पूरी अयोध्या को दीपों से सजा दिया और लंका विजय का हर्ष जताने के लिए पटाके छोड़े। तभी से आज तक दीपावली मनानें की परम्परा चली आ रही है। तो इस बार राम मंदिर निर्माण शुरू होने से दोहरी खुशी के बीच दीपोत्सव मनाया जा रहा है।
 

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