युद्ध विराम की शर्त के तौर पर पाकिस्तान के संबंध में भारत ने खींच दी नई लक्ष्मण रेखा- ‘आतंकी हमले को युद्ध माना जाएगा’

Edited By Ramkesh,Updated: 10 May, 2025 08:16 PM

as a condition for ceasefire india has drawn a new laxman

भारत और पाकिस्तान में चल रहे तनाव के बीच अचानक अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोशल मीडिया पर एक जानकारी साझा की। ट्रुथ सोशल पर ट्रंप के पोस्ट को भारत और पाकिस्तान के सत्ता शीर्ष ने भी बहुत जल्दी पुष्ट कर दिया। इसके साथ ही भारत और पाकिस्तान...

लखनऊ  (विकास कुमार): भारत और पाकिस्तान में चल रहे तनाव के बीच अचानक अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोशल मीडिया पर एक जानकारी साझा की। ट्रुथ सोशल पर ट्रंप के पोस्ट को भारत और पाकिस्तान के सत्ता शीर्ष ने भी बहुत जल्दी पुष्ट कर दिया। इसके साथ ही भारत और पाकिस्तान में युद्धविराम पर सहमति बन गई।
 
वहीं मोदी सरकार के युद्ध विराम पर सहमत होने पर उनकी आलोचना की जा रही है, लेकिन अंतर्राष्ट्रीय संबंध में विदेश और सामरिक नीति से जुड़े हर फैसले की गहन समीक्षा की जाती है। इस बार युद्धविराम से पहले मोदी सरकार ने एक लक्ष्मण रेखा जरूर खींच दिया है। भारत सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि ‘आगे से कोई आतंकी हमला युद्ध की कार्रवाई’ मानी जाएगी। इससे साफ होता है कि अगर आगे भारत में कोई भी आतंकी हमला होता है तो भारत फिर से पाकिस्तान पर हमला कर सकता है।
 
‘पाक के डीजीएमओ का आगे बढ़ कर बात करना भारत की रणनीतिक जीत’
दो परमाणु शक्ति संपन्न देशों के बीच कौन जीता और कौन हारा इसका पता कूटनीतिक संकेतों से ही चलता है। इस बार पाकिस्तान के डीजीएमओ ने ही आगे बढ़कर भारत के डीजीएमओ से युद्ध विराम करने की गुहार लगाई। इससे पता चलता है कि कुछ दिनों में ही भारत के सैन्य ताकत और तकनीकी क्षमता के आगे पाकिस्तान ने घुटना टेक दिया। इसलिए इस युद्धविराम के हर पहलू को गंभीरता से समझने की जरूरत है। 
 
‘पाकिस्तान की न्यूक्लियर ब्लफ की रणनीति को भारत ने तोड़ डाला’
सामरिक नीतियों के विशेषज्ञों का लंबे अरसे से ये कहना था कि पाकिस्तान के पास परमाणु बम है इसलिए भारत उससे सीधी लड़ाई नहीं लड़ सकता है। याद हो कि कारगिल युद्ध में भी भारत ने अपनी सीमा में ही युद्ध किया था। कारगिल युद्ध के दौरान भारत ने केवल ‘रक्षात्मक युद्ध नीति’ का पालन किया था। इस रक्षात्मक नीति को  मोदी सरकार ने बदल डाला। मोदी सरकार ने सबसे पहले बालाकोट में एयर स्ट्राइक और उड़ी में सर्जिकल स्ट्राइक किया था। इससे स्पष्ट हो गया था कि मोदी सरकार पाकिस्तान की ‘न्यूक्लियर ब्लफ’ को गंभीरता से नहीं लेती है। पहलगाम के क्रूर आतंकी हमले के बाद भारत सरकार ने पाकिस्तान के हर्टलैंड ‘पंजाब’ में अंदर तक हमला किया। भारतीय ड्रोन और मिसाइल की जद में इस्लामाबाद,लाहौर,रावलपिंडी,सुरकोट,सियालकोट और सरगोधा जैसे पाकिस्तान के अहम ठिकाने आ गए। ये एक साफ संकेत है कि मोदी सरकार ने पाकिस्तान के संदर्भ में ‘आक्रामक नीति’ का पालन किया। मोदी सरकार ने साफ तौर से पाकिस्तानी परमाणु बम की गीदड़भभकी की भी पोल खोल कर रख दिया है। अब से ये साफ हो गया है कि आगे किसी भी आतंकी हमले पर भारत, पाकिस्तान के हार्टलैंड पंजाब पर खुला प्रहार करेगा।
 
‘दो न्यूक्लियर पावर कंट्री में कभी नहीं हुआ खुला युद्ध’
भारत और पाकिस्तान दो परमाणु शक्ति संपन्न देश है। परमाणु शक्ति संपन्न देश में सीधी लड़ाई का इतिहास नहीं रहा है।यहां तक कि अमेरिका और सोवियत रूस दोनों परमाणु शक्ति संपन्न देश रहे हैं। दोनों महाशक्तियों में द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति के बाद से ही तनाव का लंबा दौर चला, लेकिन दोनों देशों ने कभी भी खुला युद्ध नहीं किया। हालांकि अमेरिका ने ‘कोल्ड वार’ के जरिए बिना युद्ध लड़े ही सोवियत रूस को तोड़ दिया था। इसलिए अंतर्राष्ट्रीय संबंध में परमाणु शक्ति संपन्न देश पाकिस्तान से सीधी लड़ाई लड़कर भारत ने एक तरह से नया इतिहास रच दिया है। दुनिया के तमाम बड़े सामरिक केंद्रों में भारत की आक्रामक कार्रवाई का अध्ययन जरूर किया जाएगा।
 
‘पाकिस्तान अंदर से एक बंटा हुआ देश है’    
भारत के हमले से ये पूरी दुनिया को पता चल गया कि पाकिस्तान अंदर से एक बंटा हुआ देश है। बलूचिस्तान के लोगों और राजनीतिक दलों ने पाकिस्तानी सेना का पूरजोर विरोध किया। वहीं पठानों ने पाकिस्तानी सेना के साथ लड़ने से सीधा इनकार कर दिया। सिंध के लोग भी पाकिस्तानी सेना के मनमानी नीति का खुलकर विरोध करते रहे। ऐसे में भारत सरकार को अब साम,दाम,दंड और भेद की नीति का पालन करते हुए पाकिस्तान को विभाजित करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। भारत सरकार को बलूचिस्तान को एक अलग देश का दर्जा देते हुए दुनिया के बड़े देशों में बलूचिस्तान का दूतावास खोलना चाहिए। भारत सरकार को अब खुलकर पाकिस्तान के खिलाफ कूटनीतिक मोर्चा खोलना चाहिए।
 
‘12 मई को भारत को पाकिस्तान के सामने क्या शर्त रखना चाहिए’ 
भारत के विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने शनिवार को एक संक्षिप्त बयान में कहा है कि, “पाकिस्तान के डायरेक्टर जनरल ऑफ़ मिलिट्री ऑपरेशंस ने भारतीय समयानुसार दोपहर तीन बजकर 35 मिनट पर भारत के डायरेक्टर जनरल ऑफ़ मिलिट्री ऑपरेशंस को फ़ोन किया था। दोनों के बीच इस बात की सहमति बनी है कि भारतीय समयानुसार शाम पांच बजे से दोनों ही पक्ष जमीन, हवा और समंदर में सभी तरह की फायरिंग और मिलिट्री एक्शन रोक देंगे।दोनों पक्षों को इस समझ के मुताबिक़ कदम उठाने के निर्देश दे दिए गए हैं। दोनों देशों के डायरेक्टर जनरल ऑफ मिलिट्री ऑपरेशंस 12 मई को 12 बजे दोबारा इस पर बात करेंगे"।

इससे साफ है कि भारत और पाकिस्तान के डीजीएमओ के बीच 12 मई को 12 बजे बातचीत होगी। इस बातचीत में भारत के डीजीएमओ को अपनी शर्तों से पाकिस्तान को अवगत कराना चाहिए। भारत के डीजीएमओ को पीओके और गिलगित बाल्टिस्तान पर अपने वैध दावे को फिर से मजबूती से दोहराना चाहिए। साथ ही पाकिस्तानी सेना और आतंकियों के बीच के रिश्ते को लेकर भी अपना विरोध दर्ज कराना चाहिए। हर फैसले को लेकर अंत में यही चर्चा होती है कि एक देश ने क्या पाया और क्या खोया। फिलहाल कम से कम हम इतना जरुर कह सकते हैं कि पाकिस्तान पर भारतीय सेना के प्रहार से हमने दुनिया को बता दिया है कि भारत अब एक ‘सॉफ्ट नेशन’ नहीं है।
 

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