एक पैर से सात चोटिया फतह करने वाली अरुणिमा अब उत्तरी और दक्षिणी ध्रुव का सफर करेंगी तय

Edited By Ruby,Updated: 27 Jan, 2019 03:16 PM

arunima will now travel north and south pole

एवरेस्ट समेत दुनिया की सात प्रमुख पर्वतचोटियों पर फतेह हासिल करके विश्व रिकॉर्ड बनाने वाली दिव्यांग पर्वतारोही अरुणिमा सिन्हा का कहना है कि अभी और कई और कठिन रास्ते और मुश्किल मंजिलें उनका इंतजार कर रही हैं।  एक कृत्रिम पैर के सहारे विश्व के सातों...

लखनऊः एवरेस्ट समेत दुनिया की सात प्रमुख पर्वतचोटियों पर फतेह हासिल करके विश्व रिकॉर्ड बनाने वाली दिव्यांग पर्वतारोही अरुणिमा सिन्हा का कहना है कि अभी और कई और कठिन रास्ते और मुश्किल मंजिलें उनका इंतजार कर रही हैं।  एक कृत्रिम पैर के सहारे विश्व के सातों प्रमुख पर्वत शिखर छू चुकी अरुणिमा ने अगले साल पृथ्वी के दक्षिणी ध्रुव पर जाने का इरादा किया है। उसके बाद वह उत्तरी ध्रुव के सफर पर निकलेंगी। 
PunjabKesari
गत चार जनवरी को अंटार्कटिका के सबसे ऊंचे शिखर माउंट विंसन की चोटी पर पहुंचने वाली अरुणिमा का कहना है कि वह अगले साल दक्षिणी ध्रुव पर जाना चाहती हैं। वैसे तो यह क्षेत्र समतल है लेकिन वहां हड्डियां जमा देने वाली ठंड में 115 किलोमीटर पैदल चलना पड़ता है। साहस की बेहद मुश्किल परीक्षा लेने वाले इस सफर की मंजिल वह खम्बा है जो दक्षिणी ध्रुव पर‘सेंटर आफ अर्थ’पर लगा है। उन्होंने बताया कि उस खम्बे पर पहुंचकर एक-दो दिन वहां रुकने के बाद फिर 115 किलोमीटर का पैदल सफर करके लौटना होता है। इस सफर से जुड़ी कई रोमांचक कहानियां इतिहास के पन्नों में दर्ज हैं। अरुणिमा ने बताया कि उत्तरी ध्रुव का सफर भी कम दुरूह नहीं है। इस ध्रुव पर नीचे पानी और उस पर बर्फ के बहुत बड़े-बड़े टुकड़े तैरते हैं। करीब 100 किलोमीटर के इस सफर में उन डगमगाते टुकड़ों पर तेजी से कूद-कूदकर चलना होता है। अगर एक बार कोई नीचे गिरा तो बचना मुश्किल है। 
PunjabKesari
उन्होंने बताया कि दक्षिणी ध्रुव पर समिट करने का सही समय दिसम्बर से जनवरी तक है। उत्तरी ध्रुव के लिए मई से जुलाई तक है। वह अगले साल दक्षिणी ध्रुव के सफर पर निकलेंगी, क्योंकि अभी माउंट विंसन की चढ़ाई करने के बाद उनका शरीर दक्षिणी ध्रुव के सफर की इजाजत नहीं दे रहा है। अपने दीर्घकालिक लक्ष्य के बारे में पूछे जाने पर अरुणिमा ने कहा कि वह भविष्य में पैरा गेम्स में भी किस्मत आजमाना चाहती हैं। उन्होंने पिछले साल जकार्ता में आयोजित पैरा एशियन गेम्स में जैवलिन और डिस्कस थ्रो स्पद्र्धाओं के लिए बेंगलूर में हुए क्वालिफिकेशन राउंड में मानक को पूरा किया था लेकिन शीर्ष पांच में ना आ पाने के कारण उनका चयन नहीं हुआ था। उन्होंने कहा कि वह किसी कोच से सलाह-मशविरा करके जैवलिन या डिस्कस में से कोई गेम चुनेंगी। 
PunjabKesari
गौरतलब है कि वर्ष 2011 में लुटेरों के हाथों ट्रेन से फेंके जाने की घटना में अपना बायां पैर गंवाने वाली अरुणिमा ने निराशा के अंधेरों से निकलते हुए 21 मई 2013 को एवरेस्ट पर पहुंचकर दुनिया को चौंका दिया था। एक कृत्रिम पैर के सहारे ऐसा करने वाली वह दुनिया की पहली महिला पर्वतरोही हैं। उसके बाद उन्होंने दुनिया की बाकी छह प्रमुख पर्वत चोटियों अफ्रीका की किलीमंजारो, यूरोप की एलब्रस, आस्ट्रेलिया की कोजिस्को, अर्जेंटीना की अकोंकागुआ और इंडोनेशिया की कास्र्टन पिरामिड पर फतह हासिल की। ऐसा करने वाली वह दुनिया की पहली दिव्यांग पर्वतारोही हैं।  अपनी विलक्षण उपलब्धियों के लिए सरकार ने अरुणिमा को वर्ष 2015 में पद्मश्री से नवाजा था।

 

Related Story

Trending Topics

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!