योगी सरकार से इलाहाबाद HC का प्रश्न- ग्रामीण और अर्ध शहरी इलाकों में कोरोना से कैसे निपट रही सरकार?

Edited By Moulshree Tripathi,Updated: 08 May, 2021 09:01 AM

allahabad hc s question to the yogi government  how is the government dealing

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार से शुक्रवार को यह बताने को कहा कि वह ग्रामीण और अर्ध शहरी इलाकों एवं छोटे शहरों में बढ़ती महामारी से कैसे निपटने जा

प्रयागराज: इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार से शुक्रवार को यह बताने को कहा कि वह ग्रामीण और अर्ध शहरी इलाकों एवं छोटे शहरों में बढ़ती महामारी से कैसे निपटने जा रही है। न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा और न्यायमूर्ति अजित कुमार की पीठ ने राज्य में कोविड-19 के प्रसार और पृथक-वास केंद्रों की स्थिति को लेकर दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की। बता दें कि अदालत को बताया गया कि हाल के समय में सरकार का ध्यान बड़े शहरों पर रहा है और छोटे जिले एवं शहर दुर्भाग्य से नजरअंदाज कर दिए गए और मीडिया ने भी इस पर ध्यान नहीं दिया। अब ग्रामीण इलाकों में महामारी का प्रकोप बढ़ते हुए देखा जा रहा है और उचित चिकित्सा सुविधा के अभाव में स्थिति खराब हुई है।

मेरठ में मेडिकल कॉलेज के ट्रामा सेंटर में कथित तौर पर ऑक्सीजन की कमी से मृत्यु के मामले में मेरठ के जिलाधिकारी ने बताया कि ऑक्सीजन आपूर्ति की कमी के चलते मृत्यु नहीं हुई, बल्कि किन्हीं दूसरे कारणों से मृत्यु हुई। हालांकि इस सवाल पर कि घटना के दिन अस्पताल में ऑक्सीजन भंडार कितना था, जिलाधिकारी कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे सके। वह यह जवाब भी नहीं दे सके कि मृत्यु की वजह क्या थी। इसपर अदालत ने मेरठ के जिलाधिकारी को इस मामले की गहन जांच कर सुनवाई की अगली तारीख पर रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया। कालाबाजारी करने वालों से आवश्यक दवाओं और इंजेक्शनों की बरामदगी के बाद उनके मालखाने में पड़े रहने पर अदालत ने सभी जिलाधिकारियों को जीवनरक्षक दवाओं, ऑक्सीजन सिलेंडर आदि को एक सप्ताह के भीतर निस्तारित करने का निर्देश दिया।

कोर्ट ने पुलिस महानिदेशक को भी निर्देश दिया कि वह राज्य के सभी वरिष्ठ पुलिस अधीक्षकों और पुलिस अधीक्षकों को एक परामर्श जारी कर उन्हें इस तरह की वस्तुओं को अवैध कब्जे से बरामद करने के 24 घंटे के भीतर इनके निस्तारण के लिए संबंधित जिलाधिकारियों से संपर्क करने को कहें। टीके की उपलब्धता पर अदालत ने कहा, “हमारा विचार है कि निविदा एक लंबी प्रक्रिया है और यदि हम इस राज्य की बड़ी आबादी के टीकाकरण में विलंब करते हैं तो हम टीकाकरण के ऐच्छिक परिणाम हासिल करने से चूक सकते हैं। इसलिए यह आवश्यक है कि सरकार को देशों के राजनयिकों की मदद लेकर टीका निर्माताओं से सीधे बातचीत करनी चाहिए।” अदालत ने राज्य सरकार को ऐसे तरीके तलाशने को कहा जिससे टीके की तत्काल खरीद सुनिश्चित हो सके जिससे तीन-चार महीने में राज्य में सभी लोगों का पूर्ण टीकाकरण हो सके।

हाईकोर्ट ने कहा, ‘‘सरकार सुनवाई की अगली तारीख पर हमें बताए कि वैश्विक बाजार से टीकों की खरीद में तेजी लाने का उसके पास क्या प्रस्ताव है।” राज्य में कोरोना महामारी के नियंत्रण के सरकार के अभी तक के सभी प्रयासों की अदालत ने सराहना की। हालांकि साथ ही यह भी कहा कि यह आराम करने का समय नहीं है। इसने कहा कि कोविड-19 की तीसरी लहर के खतरे को देखते हुए अब भी काफी काम किया जाना बाकी है, खासकर सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधा के क्षेत्र में। अदालत ने इस मामले की अगली सुनवाई की तारीख 11 मई निर्धारित की। 

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