AIMPLB की बैठक खत्मः अयोध्या फैसले को मानने से किया इनकार, कोर्ट में देंगे रिव्यू पेटीशन

Edited By Tamanna Bhardwaj,Updated: 17 Nov, 2019 06:23 PM

aimplb meeting ends

अयोध्या में रामजन्मभूमि विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड(AIMPLB) ने मानने इनकार कर दिया। जिसके चलते बैठक में AIMPLB ने कोर्ट फैसले को चुनौती देने का ऐलान किया है...

लखनऊः अयोध्या में रामजन्मभूमि विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड(AIMPLB) ने मानने इनकार कर दिया। जिसके चलते बैठक में AIMPLB ने कोर्ट फैसले को चुनौती देने का ऐलान किया है। बैठक में 45 सदस्यों ने हिस्सा लिया।

बोर्ड के सचिव जफरयाब जीलानी ने रविवार को यहां हुई बोर्ड की वर्किंग कमेटी की आपात बैठक में लिये गये निर्णयों की जानकारी देते हुए प्रेस कांफ्रेंस में बताया कि अयोध्या मामले पर गत 9 नवम्बर को दिये गये उच्चतम न्यायालय के निर्णय पर पुनर्विचार की याचिका दाखिल की जाएगी। उन्होंने कहा कि बोर्ड ने साथ ही फैसला किया है कि मस्जिद के लिए दी गई 5 एकड़ की जमीन मंजूर नहीं है। उन्होंने बाबरी मस्जिद के बदले किसी और जगह जमीन न लेने का फैसला किया है।

बैठक में मुख्य तौर पर सुप्रीम कोर्ट के अयोध्या फैसले में दिए गए 10 निष्कर्षों मुद्दों पर चर्चा हुई। जिनमें प्रमुख रूप से सुप्रीम कोर्ट ने माना है कि 1857 से 1949 तक बाबरी मस्जिद का तीन गुंबद वाला भवन और मस्जिद का अंदरूनी सदन मुसलमानों के कब्जे व प्रयोग में रहा है। अंतिम नमाज 16 दिसंबर 1949 को पढ़ी गई थी। 22/23 दिसंबर, 1949 की रात बाबरी मस्जिद के बीच वाले गुंबद के नीचे असंवैधानिक रूप से रामचंद्रजी की मूर्ति रख दी गई और बीच वाले गुंबद के नीचे की भूमि का जन्मस्थान के रूप में पूजा किया जाना साबित नहीं है।

इस बारे में एआईएमपीएलबी के वकील जफरयाब जिलानी ने कहा, ‘‘शरई वजहों से दूसरी जगह पर मस्जिद की जमीन कबूल नहीं करेंगे। हमें वही जमीन चाहिए, जिसके लिए लड़ाई लड़ी। सुप्रीम कोर्ट के फैसले में कई अंतर्विरोध हैं। जब बाहर से लाकर मूर्ति रखी गई तो उन्हें देवता कैसे मान लिया गया? जन्मस्थान को न्यायिक व्यक्ति नहीं माना जा सकता। गुंबद के नीचे जन्मस्थान का प्रमाण नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने माना है कि वहां नमाज पढ़ी जाती थी। हमें 5 एकड़ जमीन नहीं चाहिए।’

जिलानी ने यह भी कहा कि अयोध्या में 27 मस्जिद हैं। बात मस्जिद की नहीं है। जमीन के हक पर लड़ाई है। 30 दिन के अंदर रिव्यू फाइल करना होता है, जिसे हम कर देंगे। बाबरी मस्जिद के पक्षकार इकबाल अंसारी पर जिला प्रशासन और पुलिस दबाव डाल रही है। हाजी महबूब की भी सहमति मिली है।

वहीं जमीयत उलेमा-ए-हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि हमें मालूम है कि याचिका 100% खारिज हो जाएगी। इसके बावजूद हम सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर करेंगे। यह हमारा हक है। वहीं, सुन्नी वक्फ बोर्ड और मामले के पक्षकार इकबाल अंसारी ने बैठक का बहिष्कार किया। 


 




 

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