Edited By Ajay kumar,Updated: 28 Oct, 2019 03:33 PM
प्रदेश की योगी सरकार भले ही अपराध को खत्म करने के चाहे जितने भी दावे करती हो लेकिन हमेशा सच कुछ और ही नजर आती है। वर्ष 2017 में सबसे ज्यादा अपराध उत्तर प्रदेश में ही हुए हैं। यानी उत्तर प्रदेश अपराधियों और अपराध का गढ़ है। पूरे देश में हुए अपराधों...
लखनऊ: प्रदेश की योगी सरकार भले ही अपराध को खत्म करने के चाहे जितने भी दावे करती हो लेकिन हमेशा सच कुछ और ही नजर आता है। वर्ष 2017 में सबसे ज्यादा अपराध उत्तर प्रदेश में ही हुए हैं। यानी उत्तर प्रदेश अपराधियों और अपराध का गढ़ है। पूरे देश में हुए अपराधों में से सबसे ज्यादा 10.1 फीसदी अपराध उत्तर प्रदेश में ही हुए हैं। उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा जघन्य अपराध हुए हैं।
देश में होने वाली सबसे ज्यादा हत्याएं उत्तर प्रदेश में हुईं। सबसे ज्यादा सड़क हादसे, सबसे ज्यादा दहेज़ हत्याएं और सबसे ज्यादा अपहरण के मामले भी उत्तर प्रदेश में दर्ज हुए हैं। हम बड़ों की दुनिया बच्चों के लिए दिनोंदिन बेरहम होती जा रही है। एक आंकड़े के मुताबिक देश में हर रोज बच्चों के खिलाफ 350 अपराधों को अंजाम दिया जाता है। आंकडे़ 2017 के हैं, जिसे हाल ही में राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) ने जारी किया है। एनसीआरबी की रिपोर्ट के अध्ययन के आधार पर बच्चों के लिए काम करने वाली संस्था चाइल्ड राइट्स एंड यू ने कहा है कि बच्चों के खिलाफ अपराधों के मामले में शीर्ष पर उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश जैसे राज्य हैं।
एक दशक में तेजी से बढे़ बच्चों के खिलाफ अपराध
बच्चों के खिलाफ अपराधों के मामले में यूपी और एमपी सबसे आगे हैं। 2016-17 के दौरान दोनों राज्यों में संयुक्त रूप से ऐसे अपराध 14.8 फीसदी या 19 हजार से ज्यादा दर्ज किए गए हैं। कि 2016-17 के दौरान बच्चों के खिलाफ अपराधों में 20 फीसदी की बढ़ोतरी हुई। इसी दौरान पूरे देश में कुल अपराधों में 3.6 फीसदी की बढ़ोतरी हुई। झारखंड में जहां 73.9 फीसदी के साथ सबसे ज्यादा बढ़ोतरी (73.9 फीसदी) देखी गई। वहीं, मणिपुर में इस मामले में 18.7 फीसदी के साथ बड़ी गिरावट आई है। क्राई के मुताबिक, 2016 में प्रति लाख पर बच्चों के खिलाफ संज्ञेय अपराध के 24 मामले दर्ज हुए, वहीं 2017 में यह संख्या प्रति लाख पर 28.9 तक जा पहुंची है। वहीं, नाबालिक लड़कियों के प्रति ऐसे अपराधों में 2016 के मुकाबले 37 फीसदी की बढ़ोतरी देखी गई।