Edited By ,Updated: 25 Jan, 2017 09:43 AM
उत्तर प्रदेश में कांग्रेस और सपा के बीच गठबंधन से बसपा प्रमुख मायावती की चिंता बढ़ गई है।
लखनऊ: उत्तर प्रदेश में कांग्रेस और सपा के बीच गठबंधन से बसपा प्रमुख मायावती की चिंता बढ़ गई है। हालांकि, यह चिंता मुस्लिम वोटों के बंटवारे को लेकर नहीं बल्कि दलित वोटों को लेकर है। राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि मायावती से साथ मजबूती से खड़े रहने वाले दलित वोट बैंक में भी यह गठबंधन सेंध लगा सकता है। कम से कम उन आरक्षित विधानसभा सीटों पर तो ऐसा जरूर हो सकता है जहां पिछले चुनावों में बसपा का प्रदर्शन बेहतर रहा है।
दलित वोट खिसकने का सता रहा है डर
इसके साथ ही पहले दो चरणों के चुनाव के क्षेत्रों में सपा ने कांग्रेस को 11 सुरक्षित सीटें दी हैं। साल 2012 के चुनाव में इन 11 सुरक्षित सीटों में बसपा ने 5 सीटों पर जीत हासिल की थी, जबकि कांग्रेस केवल दो सीटों पर जीती थी और उस समय कांग्रेस के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ रहे राष्ट्रीय लोक दल ने 3 सीटों पर जीत हासिल की थी। इसके अलावा इन सीटों में से केवल एक सीट पर सपा की जीत हुई थी।
पहले कांग्रेस को ही दलितों का वोट मिलता था
अब अगर सपा अपना वोट कांग्रेस को स्थानांतरित करने में कामयाब होती है, तो कांग्रेस को दलित वोटों को अपने पक्ष में करने में आसानी होगी। देखा जाए तो यू.पी. में कांशी राम के उदय से पहले कांग्रेस को ही दलितों का वोट मिलता था।
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